बेंगलूरु के जैन विश्वविद्यालय के फॉरेंसिक साइंस विभाग द्वारा माननीय कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग तथा एनजीओ दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के अंतरक्रांति कार्यक्रम के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस वर्ष के विषय 'स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स' (Stand Up For Human Rights) का संस्थान की प्रवक्ता ने आध्यात्मिक महत्व बताया।
लगभग २०० बीएससी फॉरेंसिक साइंस के छात्र तथा २० फैकल्टी मेंबर्स ने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया।
कार्यक्रम का आरम्भ जैन विश्वविद्यालय के अतिथि प्राध्यापक एवं वकील जय दत भट्ट द्वारा स्वागत भाषण से हुआ। कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माननीय अब्दुल अज़ीज़ ने बताया कि कैसे धर्म मानव अधिकारों की सुरक्षा में महत्त्वूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि हमें मानवता तथा भाईचारे के महत्त्व को समझना चाहिए। धार्मिक मूल्य हमारे मानवीय अधिकारों का समर्थन करते हैं|
इसके उपरांत दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रतिनिधि साध्वी निशंका भारतीजी ने श्रोताओं को सम्बोधित किया। उन्होंने विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला जैसे भारत में मानव अधिकार, मानवीय अधिकारों के उल्लंघन के कारण एवं मानव जीवन में ब्रह्मज्ञान का महत्व। उन्होंने बताया कि मानवीय अधिकारों की सुरक्षा के लिए मानव हृदय में परिवर्तन ज़रूरी है जो कि केवल धर्म एवं अध्यात्म द्वारा सम्भव है ।
संस्थान द्वारा कैदी सुधार परियोजना - अंतरक्रांति की वीडियो जिसमें कैसे कैदियों में सुधार कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक उत्तरदायित्व को वहन करने योग्य बनाया गया है, भी दिखाए गये। इस सत्र ने उपस्थितजनों की बौद्धिक तथा विवेकशील भावनाओ को छुआ और उन्हें ब्रह्मज्ञान के लिए प्रेरित किया।
श्री लक्ष्मण मूर्ति जी ने अंतरक्रांति में अध्यात्म की भूमिका की प्रशंसा की और भारतीय मूल्यों के बारे में बताया। उन्होंने मानवीय अधिकारों के सिद्धांतों का भी विस्तृत वर्णन किया।
सत्र के अंत में आयोजकों, अतिथिगणों तथा फैकल्टी मेंबर्स की चाय पर चर्चा हुई। उन्होंने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रयासों कि सराहना की। अंत में क़ैदियों में परिवर्तन पर आधारित “Reformed turned Reformers” पुस्तक अतिथियों को भेंट स्वरूप दी गयीं ।
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