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आज के इस भागदौड़ एवं प्रदुषण भरे वातावरण में योग ने मनुष्य को एक स्वस्थ जीवन जीने की रौशनी दी है।  योग अंतर नहीं करता है,  यह सभी के लिए समान रूप से उपयोगी और सुलभ है।

योग को व्यापक रूप से  एक ऐसी क्रिया के रूप में  देखा और स्वीकार किया जा रहा है जो मांसपेशियों को मजबूत करता है, लचीलापन बढ़ाता है,  विचारों को केंद्रित करता है और मन को  शांत करता है। लेकिन योग इन  सब  के साथ साथ  और भी बहुत कुछ करता है ,  यह शब्द स्वयं अपनी शक्ति का संकेतक है.

शब्द ‘योग' संस्कृत धातु यूज  से आता है जिसका अर्थ है एकजुट होना, शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण को संदर्भित करना - एक खुश, संतुलित और उपयोगी जीवन प्राप्त करने के लिए।

योग व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास का माध्यम है। इस सर्वोच्च विज्ञान की वैश्विक अपील और महत्व को समझते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने सन  2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में  घोषित किया जो इस 5000 वर्ष पुराने ज्ञान को  विरासत में पाने खुशी और गर्व को बढ़ाता है

अंतरक्रांति ने  हमेशा इस अवसर को कैदियों को योग के व्यापक और समग्र तरीकों के ज्ञान देने के अवसर के रूप में प्रयोग  किया है। इसी श्रृंखला में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के चौथे संस्करण पर भारत वर्ष के 5  कारागारों में योग शिविरों का आयोजन।

 

१.  जिला कारागार कुरुक्षेत्र

२. केंद्रीय कारागार अम्बाला

३.  जिला कारागार मेरठ

४. केंद्रीय कारागार वाराणसी

५. केंद्रीय कारागार  तिहाड़ , दिल्ली

इन  शिविरों में संस्थान के प्रचारकों , स्वयं सेवकों एवं अनुभवी योग शिक्षकों ने बंदियों को अनेक आसान, प्राणायाम बताये , सिखाये और करवाए व प्रत्येक योगासन  के लाभ व प्रसांगिकताओं को उजागर किया।  प्रचारकों ने कैदियों को योग को नियमित रूप से जीवनशैली में सम्मिलित करने के लिए प्रेरित भी किया। साथ ही कारागार में फैली  नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए   ब्रह्मज्ञान की साधना , क्रम व उसकी  प्रभावशीलता से गूढ़ रहस्यों को बताया।

इन योग शिविरों में 1700 उत्साही कैदियों  ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और शिविर का लाभ उठाया। प्रतिष्ठित जेल अधिकारियों ने अपनी उत्साह पूर्ण उपस्थिति द्वारा शिविर को सम्मानित व  सफल किया

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