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सुंदरकांड, रामचरितमानस का पाँचवाँ भाग है। यूँ तो रामचरितमानस प्रभु श्री राम के जीवन पर आधारित ग्रंथ है जिसमें उनकी महान लीलाओं की गाथा वर्णित है। परन्तु इसी ग्रंथ का पांचवा भाग “सुंदरकांड” प्रभु श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है। यह भाग इस तथ्य को प्रगट करता है कि एक समर्पित शिष्य अपने प्रभु के संबल से दुष्कर कार्यों को भी अकेला सिद्ध कर सकता है। जहाँ एक ओर पूरा संसार उसकी प्रशंसा करता है वहीँ दूसरी ओर वह इस सत्य से परिचित होता है कि वह तो निमित मात्र है वास्तव में तो उसके आराध्य की कृपा से ही कार्य की सिद्धि हुई है। जीवन में यह तभी सम्भव है जब साधक अपने साध्य से आत्मिक स्तर पर जुड़ा हो। श्री हनुमान जी आध्यात्मिक रूप से प्रभु श्री राम से जुड़े थे, तभी माता सीता की खोज करते हुए मार्ग में जो भी बाधाएं व चुनौतियाँ आयीं, वह उन्हें साहस व विवेक से पार कर गए और सारा श्रेय प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया।

 Beautifully Narrated SunderKand Empowered Souls of Canberra, Australia

भक्तों के भीतर सतगुरु के प्रति समर्पण की भावना को दृढ़ करने हेतु, दिव्य ज्योति जाग्रति  संस्थान ने परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा द्वारा 27 अप्रैल 2019 को  कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया में सुंदरकांड का सुंदर आयोजन किया। इस आयोजन की आध्यात्मिक सूत्रधार साध्वी दीपिका भारती जी रहीं।

कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान राम और माता सीता के चरण कमलों में प्रार्थना के साथ हुआ। साध्वी जी ने सुंदरकांड की व्याख्या द्वारा उपस्थित लोगों को त्रेतायुग की दिव्य घटनों से रूबरू करवाते हुए अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर किया। श्री राम व हनुमान जी का चरित्र भगवान व भक्त के दिव्य व अटूट संबंध की आधारशिला को स्पष्ट करता है। प्रभु रघुनाथ के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के अभाव में भी महाबली हनुमान ने प्रभु काज को सिद्ध किया। साध्वी जी ने इस संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मात्र “ब्रह्मज्ञान” पर आधारित ध्यान प्रक्रिया ही भगवान के साथ निरंतर जुड़े रहने का माध्यम है।

 Beautifully Narrated SunderKand Empowered Souls of Canberra, Australia

श्री राम व श्री हनुमान की महिमा से ओतप्रोत भक्ति गीतों की श्रृंखला ने भक्तों के हृदयों में भावों को जागृत करते हुए उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया। उपस्थित श्रोताओं ने कार्यक्रम से प्रभावित होकर संस्थान के प्रति अपने आभार को व्यक्त किया। इस कार्यक्रम द्वारा उन्होंने न केवल अपने जीवन के परम उद्देश्य को जाना अपितु जीवन में एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु की आवश्कता के महत्व को भी स्वीकार किया। इस आयोजन का समापन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान और प्रसादम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किया गया।

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