नारी का अधीनता व पक्षपात से बंधनमुक्त होना आज भी एक अर्धनिर्मित कार्य है जिस पर तत्काल ध्यान देना अति आवश्यक हो गया है. श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्ग दर्शन में संचालित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का लिंग समानता प्रकल्प – संतुलन, नारी को आध्यात्मिक उत्थान के माध्यम से समग्र रूप से मुक्त और सशक्त करने में कार्यरत है. इसी लक्ष्य की प्राप्ति करने व महिलाओं के भीतर नारी होने का गौरव जागृत करने हेतु, संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के प्रयोजन के तौर पर 1 से 31 मार्च तक 1 माह के लिए अखिल भारत में उत्साहपूर्ण "स्वाभिमान - महिलाओं के सम्मान की पुनर्स्थापना हेतु मुहिम" के रूप में संचालन किया जाता है. इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित "हे नारी! शक्ति बन, बदल दे जहाँ को" विषय के अंतर्गत, बेटियों की शिक्षा से लेकर सामान अवसरों के प्रावधान तक, सभी सम्बंधित पक्षों की विस्तृत श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए, जन जन तक नारी की महत्वता का सन्देश पहुचाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. यह मुहिम, संस्थान द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध 1 वर्ष से चल रहे अभियान ‘तू है शक्ति’ का ही एक भाग है.
महिला सशक्तिकरण द्वारा सामाजिक उत्थान के कार्यों में अपने अनुभव का प्रयोग कर, इस वर्ष संस्थान ने अपने निर्धारित परिणामों की प्राप्ति के लिए इस अभियान के संचालन की पूर्ण कार्य योजना बनाई है. इस अभियान के अंतर्गत विश्व भर में स्कूल, कार्यालय, ऑडिटोरियम आदि में नुक्कड़ नाटक, नृत्य, विषय सम्बंधित व्याख्यान, सामूहिक चर्चा से सुसज्जित जागरूकता वर्कशॉप व काउंटर्स का आयोजन किया जा रहा है. लिंगाधारित पूर्वधारणा व मिथकों का स्पष्टीकरण, नारी की सिद्धि गाथा का वर्णन व नारी महत्वता के विषय में जागरूकता उपबोधन कर, महिलाओं को एकजुट हो कर सामाजिक समस्याओं के विरुद्ध आवाज़ उठाने को प्रेरित करने का हर प्रयास किया जा रहा है.
कार्यक्रम में उपस्थितगणों के भीतर की विषम मानसिकता को समझने हेतु लिंगाधारित प्रश्नोत्तरी, महिलाओं के खलाफ समाज में हो रहे अपराधों की अखबारों में छपी खबर पर सामूहिक चर्चा, दैनिक कार्यों का महिला और पुरुष के बीच विभाजन आदि, अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. इसके पश्चात साध्वी जी द्वारा वर्षों से चली आ रही रूढ़ीवादी मानसिकता व मिथक धारणाओं का निरूपण कर, समाज को महिलाओं के असली गौरव से अवगत करवाने का प्रयास किया जा रहा है. भारत के इतिहास में से रानी लक्ष्मी बाई, गार्गी आदि जैसे उदाहरणों का वर्णन करते हुए, आज महिलाओं की अध्यात्मिक स्तर पर असशक्ति को पतन के कारणों में से एक बताया जाता है. अंत में हाथ पर कन्या बचाओ का टैटू व बैनर पर हस्ताक्षर के रूप में महिला सशक्तिकरण के प्रति अभिमत व अभियान में योगदान का प्रण लेने की गतिविधि का भी आयोजन किया गया है.
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान एक सामाजिक आध्यात्मिक संस्था है जो समाज में महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराधों को समाप्त कर, महिलाओं को उनकी गरिमा व प्रतिष्ठा का आभास करवाने, व उन्हें अपने अधिकारों का प्रयोग करने हेतु प्रेरित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य प्रदर्शन के अतिरिक्त, संस्थान द्वारा नशा मुक्ति, अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षार्थ, पर्यावरण संरक्षण हेतु, गो संरक्षण, संवर्धन एवं नस्ल सुधार, समाज के सम्पूर्ण स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन तथा नेत्रहीनों, अपाहिजों के सशक्तिकरण, जेल के कैदी बंधुओं के लिए समाज कल्याण के अनेक प्रकल्प चलाए जा रहे हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य आध्यात्मिक जागृति द्वारा विश्व में शान्ति व बंधुत्व की स्थापना करना है.