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श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में डीजेजेएस द्वारा 2 से 8 नवम्बर 2022 तक चम्पावत, उत्तराखंड में सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। चम्पावत व नजदीकी क्षेत्रों से असंख्य श्रद्धालुजन कथा में सम्मिलित हुए। कथा में भावपूर्ण भजनों व शास्त्रों पर निहित वैज्ञानिक प्रस्तुति ने सभी को आकर्षित व मंत्रमुग्ध किया।

Bhagwan Shiv Katha at Champawat, Uttarakhand: Spiritual Awakening is the Need of the Hour

कथा व्यास डॉ सर्वेश्वर जी (श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्य) ने व्याख्या सहित शिव पुराण में निहित श्लोकों के माध्यम से कथा में सुंदर व मार्मिक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने समझाया कि भगवान शिव को ‘संहारक’ नाम से भी जाना जाता है। शिव की प्रलयकारी लीला सकारात्मक व रचनात्मक है जो प्राण व ऊर्जा को विश्व कल्याण हेतु रूपांतरित कर देती है। उनका विध्वंस जीवन की पुनरुत्पत्ति व प्रकृति में परिवर्तन लाने के लिए होता है। वह हमारे आध्यात्मिक विकास हेतु हमारी अपूर्णताओं को भी नष्ट कर देते हैं। प्रवक्ता ने भगवान शिव के संपूर्ण वेश व उससे जुड़े आध्यात्मिक मर्मों पर सुंदर व्याख्यान प्रस्तुत किया। भगवान शिव ने बाघम्बर को वस्त्र रूप में धारण किया है, गले व भुजाओं में सर्प हैं, नर-मुंडों की माला पहनी हुई है और पूरे शरीर पर भस्म रमायी हुई है। मृत्यु, जीवन की अंतिम वास्तविकता और जन्म-मरण के सिद्धांत को दर्शाने हेतु भगवान शिव का पूरा शरीर भस्म से रमा हुआ है। उनके ललाट पर सुसज्जित तृतीय नेत्र आध्यात्मिक जाग्रति का प्रतीक है।

कथा-व्यास ने समझाया कि भगवान शिव की ध्यान मुद्रा शांति का प्रतीक है, जो व्यक्ति को रोजमर्रा की समस्याओं को सुलझाने में सहायता करती है। वर्तमान समय में भी, प्रत्येक व्यक्ति को ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान पर आधारित ऐसी ध्यान-साधना करने की आवश्यकता है जो मन को शांत व पूर्व कर्म-संस्कारों को नष्ट कर दे। हमारे शास्त्रों के अनुसार केवल समय के पूर्ण सतगुरु ही व्यक्ति को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर सकते हैं।

Bhagwan Shiv Katha at Champawat, Uttarakhand: Spiritual Awakening is the Need of the Hour

हमें यह समझना होगा कि अध्यात्म वृद्धावस्था के लिए नहीं है। हमारे ग्रंथों में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जैसे कि ध्रुव व प्रह्लाद, जिन्होंने बाल अवस्था में ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लिया था। उन्होंने ऐसा ध्यान किया कि उनका मन तो शांत हुआ साथ ही जीवन की विषम परिस्थितियों का अकेले सामना करने में भी सहायता मिली। आज भी, हमें अपने जीवन के प्रारम्भिक चरण से ही जीवन की प्रत्येक परिस्थिति का डटकर सामना करने के लिए एक ऐसे ही शक्तिशाली साधन की आवश्यकता है।

कथा व्यास ने अंत में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समय के पूर्ण सतगुरु की खोज करनी चाहिए ताकि वह भी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर सकें। डीजेजेएस में, पूर्ण सतगुरु श्री आशुतोष महाराज जी ने इस विज्ञान में पारंगत हासिल कर जन-जन तक इसे उपलब्ध करवाया है और उनके आशीर्वाद से विश्व-भर में असंख्य लोग इस ज्ञान को प्राप्त कर आनंदमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्य व शांति पथ के जिज्ञासुओं के लिए डीजेजेएस के द्वार सदा खुले हैं और रहेंगे।

उपस्थित श्रोताओं को कथा के शांत वातावरण में तल्लीन देखा गया। कथा आध्यात्मिक जाग्रति के संदेश को चम्पावत के जन-जन में प्रचारित करने में सफल रही।

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