शांति एवं आध्यात्मिक सूत्रों को उजागर करने हेतु, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 26 जून 2022 को पंजाब के राजपुरा शहर में भक्तिपूर्ण भजन संध्या ‘भज गोविंदम्’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से भजनों एवं प्रेरणादायक प्रवचनों की सुंदर प्रस्तुति की गई। श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी गरिमा भारती जी ने शांति एवं सौहार्दपूर्ण भावों को भक्त हृदयों में प्रतिध्वनित करने में भजनों की प्रासंगिकता को उजागर किया। भक्ति भावों से सुसज्जित भजनों एवं प्रवचनों को श्रवण करने हेतु असंख्य श्रद्धालुजन कार्यक्रम में पहुँचे।

भजनों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने समझाया कि भजन अशांत और विचलित मन को शांति एवं स्थिरता प्रदान करते हैं। इससे शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है, मानसिक तनाव में घटाव और आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है। इसलिए भजनों के माध्यम से ईश्वर महिमा का गुणगान करना अत्यंत आवश्यक है। परंतु, यह भी सत्य है की ईश्वर की निकटता को प्राप्त करने के लिए उसके आदि नाम का अपने घट भीतर साक्षात्कार करना अवश्यंभावी है। आत्म-साक्षात्कार ही स्वयं को जानने और मोक्ष प्राप्ति का अद्वितीय मार्ग है। उन्होंने बताया कि भजनों द्वारा सकारात्मकता एवं शांति का प्रसार तभी संभव है जब गायक एवं श्रोता आत्म-ज्ञानी हों। ‘सुमिरन’ या ईश्वर के शाश्वत नाम जाप का भावनाओं व कर्मों पर विशेष मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जिसमें चिकित्सकीय क्षमताएं होती हैं।
डीजेजेएस प्रवक्ता ने बताया कि श्री आशुतोष महाराज जी समय के पूर्ण सतगुरु हैं जिन्होंने असंख्य श्रद्धालुओं को ‘ब्रह्मज्ञान’ द्वारा आध्यात्मिक-जागृति प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने समझाया कि भक्तों का मार्गदर्शन करने हेतु ईश्वर मानवीय वेष धारण कर ‘सतगुरु’ रूप में एस धारा प्रकट होता है। सतगुरु द्वारा प्रदत्त आत्म-साक्षात्कार से प्रस्फुटित आध्यात्मिक ऊर्जा ही व्यक्ति को परिपूर्ण जीवन जीने में सहयोगी सिद्ध होती है। हमारे शास्त्रों ने भी इसी बात पर मुहर लगाई है। आत्म-ज्ञान ही एक मात्र विधि है जो एक जिज्ञासु को धर्म-पथ पर अग्रसर करती है। ऐसी ध्यान साधना ही अंतर-क्रांति को प्रकट करती है, जो व्यक्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण ला तनाव से मुक्ति प्रदान करने का एक अद्भुत माध्यम है। कार्यक्रम समापन तक उपस्थित सभी श्रोताओं ने एकता एवं ज्ञान के सूत्रों को उजागर करती भक्तिपूर्ण प्रस्तुति से स्वयं को आध्यात्मिक रूप से ऊर्जान्वित पाया।
