ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतम् गमय।
यह प्रार्थना वास्तव में पूर्ण सतगुरु के समक्ष है क्योंकि पूर्ण सतगुरु में ही इन शब्दों को सिद्ध करने का सामर्थ्य है। ब्रह्मज्ञान द्वारा ही सतगुरु मनुष्य को असत्य से सत्य की ओर, अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरता की ओर ले जा सकते हैं। सतगुरु इस संसार में वे दिव्य प्रबुद्ध आत्माएं हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को भ्रम के इस संसार से दूर, आत्म बोध के शाश्वत विज्ञान के माध्यम से उच्चतर चेतना तक जागृत करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ अवतरित होते हैं। सतगुरु ही ब्रह्मज्ञान द्वारा दिव्य नेत्र को जागृत कर आत्म-साक्षत्कार का अनुभव करवाते है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान सदैव ही धर्मग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में वर्णित पूर्ण सतगुरु की वास्तविक कसौटी को समाज के समक्ष रखने का प्रयास करता है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में पंजाब के गुरुदासपुर क्षेत्र में 14 दिसंबर 2019 को "असतो मा सद्गमय" नामक एक आत्मा मुक्ति से परिपूर्ण, दिव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मधुर, आत्म- जागृति और दिव्यता से ओत-प्रोत भावपूर्ण भक्ति संगीत ने भक्तों के हृदय को दिव्यता से भिगो दिया।
साध्वी सौम्या भारती जी ने भजनों में छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को तर्कपूर्ण व शास्त्रीय तथ्यों के साथ लोगों के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि दिव्य प्रेम ऐसी घटना है जिसे केवल आत्मा के स्तर पर अनुभव किया जा सकता है। यह दिव्य यात्रा आत्मा को जानने से आरम्भ होती है, जो कि सर्वोच्च आत्मा का अंश है और इसलिए आनंद का अटूट खजाना है। प्रेम और आनंद का यह बारहमासी स्रोत समय के पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रकट की गई ध्यान की वास्तविक कला के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी जी ने सतगुरु और शिष्य के कई उदाहरणों को रखते हुए समझाया कि सतगुरु दया और शुद्ध प्रेम का सागर है, जिनकी कृपा से जन्मों से अतृप्त जीव आनंद व शांति का अनुभव कर सकता है।
इस आयोजन में समाज के कई गंभीर मुद्दों को विचार रखते हुए, संस्थान द्वारा उनके निर्मूलन हेतु चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों को लोगों के समक्ष रखा। पंजाब के निस्वार्थ युवाओं की बड़ी संख्या कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए देखी गई। भजन और प्रवचन के रूप में सुंदर प्रसंगों को सुनने के बाद, भक्तों को जीवन में आध्यात्मिक खोज और भगवान और सतगुरु की तलाश करने के महत्व का एहसास हुआ।