राजस्थान, जो दुनिया में अपनी परंपरा और कला के लिए जाना जाता है, अब एक अन्य शीर्षक "ड्रग्स के धुएं से ढका राज्य" के रूप में जाना जाता है, इसका कारण है राज्य मे जोरों से बढ़ती नशे की समस्या |
राजस्थान जो की अफगानिस्तान – नशे का सबसे बड़ा उत्पादक, पाकिस्तान - ड्रग्स का सबसे बड़ा निर्यातक और पंजाब - भारत में नशे की तसखरी का द्वार, के साथ अपनी सीमाओं को साझा करने की वजह से इन समस्या मे निरंकुश घिरता चला जा रहा है ।
हाल का उदाहरण लें जब प्रतापगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और भिलवाड़ा में अफीम की वैध खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो समस्या के कम होने के बजाय या बड़ी तादात मे ड्रग्स या तो पाकिस्तान से लाकर पंजाब के द्वारा राजस्थान मे पहुंचाया गया या असुरक्षित अंतरराष्ट्रीय सीमा के कारण सीधे राजस्थान मे पहुंचाया गया ।
अध्ययनों के अनुसार, प्राकृतिक और सिंथेटिक नशे की आसान उपलब्धता इसके फैलाव के अन्य कारणो जैसे की कम साक्षरता दर, कम सामाजिक आर्थिक स्थिति, व्यस्त जीवन कार्यक्रम, बढ़ता तनाव, सही जानकारी का अभाव आदि मे सहयोग देकर समस्या को और गहरा कर रहा है ।
राजस्थान में अनुमानित 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत आबादी, मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, मादक द्रव्यों के सेवन में शामिल है। राजस्थान में 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक नशा करने वाले लोग अफीम का सेवन करते हैं। हालांकि, अफीम की उपलब्धता में कमी के कारण, हेरोइन, नशीले इंजेक्शन, सिरप जैसी दवाइयो के दुरुपयोग मे एक बड़ी तड़ात मे बढ़त देखी गई है । टैबलेट्स के रूप में दवाओं की बड़ी खेप जैसे कि अल्प्राजोन, प्रोक्सीवोन और सिरप जैसे कि रेनकॉफ कफ सिरप, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में अवैध रूप से खतरनाक नियमितता के साथ लाये जाते हैं | पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन गोलियों या नशीली दवाओं को भी बिना पर्चे के केमिस्ट की दुकानों पर खुले आम बेचा जाता है।
इसलिए मांग और आपूर्ति के इस निरंतर चक्र को तोड़ने और आवश्यक जागरूकता और उपलब्ध जागरूकता के बीच अंतर को पाटने के लिए, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का नशाखोरी उन्मूलन कार्यक्रम शहरी, अर्ध-शहरी, ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है।
सामूहिक रूप से संगठन के इन प्रयासों को एक शीर्षक दिया गया है "बातचीत मूहीम", जिसका अर्थ है एक ऐसा अभियान जो हर नुक्कड़ और कोने कोने तक नशे के दुष्प्रभावो के बारे मे सूचना फैलाता है ताकि लोग इस वर्जित विषय के बारे में बड़ी आसानी से खुल कर बात कर पाये और सूचित और समझदारी से निर्णय ले सकें क्योंकि राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रसार का, विशेषतः युवाओ मे सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव ही पाया गया है|
इस मूहीम को चार चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में डोर टू डोर सर्वे, महिला बैठकें (नशे में परिवार के सदस्य के साथ कैसे व्यवहार करें), युवकों के साथ बैठकें, क्षेत्र की विशेष सूचनाओ पर चर्चा, अधिवक्ता, डॉक्टर और अन्य हितधारक लक्षित क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता के बारे में जानकारी एकत्र करना शामिल हैं।
पहले चरण मे निम्नलिखित गतिविधियों को निष्पादित किया जाएगा:
- प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) - सर्वेक्षण करने के लिए कार्यशालाएं
- चर्चा सत्र
- सर्वेक्षण के प्रारंभिक दस्तावेज और नमूनो का आंकलन
- समुदाय का डोर टू डोर सर्वे
- युवा बैठके
- लेन बैठक
- क्षेत्र का नियमित दौरा
- महिलाओं के साथ बैठके
- सामुदायिक सूचनाओं के साथ बैठकें
अभियान के पहले चरण के दौरान एकत्र किए गए अध्ययन और डेटा, अभियान के दूसरे चरण के लिए एक नींव रखेंगे। दूसरे चरण मे ही टिप्पणियों और स्थानीय गतिशीलता के आधार पर विभिन्न गतिविधियों और लेआउट की योजना बनाई जाएगी।
- सर्वेक्षण किए गए डेटा का विश्लेषण
- निर्धारित योजना में सर्वे विश्लेषण को शामिल करना
- कार्ययोजना तैयार करना
- मादक पदार्थों के सेवन और इसकी लत के मुद्दे पर स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण
- जागरूकता उपकरण और आईईसी सामग्री का विकास।
तीसरे चरण में निम्नलिखित गतिविधियों का संचालन किया जाएगा:
- समुदाय में प्रारंभिक जन परिचयात्मक सत्र
- शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यशालाएं
- ड्रग उपयोगकर्ताओं के लिए समूह और व्यक्तिगत परामर्श सत्र
- समुदायों में जन जागरूकता कार्यक्रम
चौथे चरण में, निम्नलिखित गतिविधियों को निष्पादित किया जाएगा:
- मूहीम आंकलन
- रिपोर्ट लेखन