25 से 28 मई 2018 तक थीम ‘Mind Body Spirit' / माइंड बॉडी स्पिरिट' पर चार दिवसीय कार्यक्रम हैमरस्मिथ, लंदन (यूनाइटेड किंगडम) में आयोजित किया गया। इसमें संस्थान के प्रचारक शिष्यों साध्वी भक्तिप्रिय भारती जी और कबीर जी ने वक्ताओं में तौर पर भाग लिया। अपनी चर्चा के माध्यम से वर्तमान समय में मानव जाति द्वारा झेली जा रही मन, शरीर और आत्मा के विघटन की समस्या पर प्रकाश डाला। हममें से अधिकांश घर के अंदर अपना समय बिताते हैं। हमारे सोने के पैटर्न बदल गए हैं। हम रात में देर से सोने के लिए जाते हैं। हमने खुद को आवश्यकता से कुछ ज़्यादा ही गैजेट से खुद को घेर रखा है। हम ताजे पकाए खाना की जगह संसाधित और रेडीमेड खाना खाते हैं। इस सबके परिणामस्वरूप हम एक ऐसा जीवन जी रहे हैं जिसमें शरीर, दिमाग और आत्मा का ख्याल नहीं रखा जा रहा। यहां, तर्क दिया जा सकता है कि कई जिम और ध्यान केन्द्र इसी कारण से खोले गए हैं ताकि मनुष्य ये खोया समन्वय फिर से स्थापित कर सके। लेकिन, मानव में बढ़ता तनाव और समाज में आए-दिन बढ़ती हिंसक वारदातें ऐसे परिदृश्य की प्रमुख अभिव्यक्ति है।
फिर, समाधान क्या है जो हमारे शरीर को स्वस्थ, मन शांत और आत्मा कायाकल्प करेगा? जैसा कि समाज में पाया जाता है कि शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने पर ही लोग ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन आजकल शारीरिक स्वास्थ्य का अर्थ सिर्फ बाहरी रूप से स्वस्थ दिखने तक सीमित कर दिया गया है, जो सतही रहता है और जड़ से समस्या का समाधान नहीं करता। एक वास्तविक स्वस्थ शरीर के लिए एक अच्छा दिमाग होना चाहिए और इसके लिए एक उत्साही आत्मा की आवश्यकता होती है। प्रामाणिक तरीकों में प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक तकनीक ‘ब्रह्म ज्ञान’ के माध्यम से इसे पाया जाता सकता है। इस तकनीक के माध्यम से एक व्यक्ति अपने भीतर ही दिव्य प्रकाश को निहारता है, जो कि ब्रह्मांड की प्रकृति का सार है। एक बार सार्वभौमिक चेतना से जुड़ने की विद्या प्राप्त होने के बाद व्यक्ति का हर कार्य कुशल और सही हो जाता है। उचित कार्यों को करने की यह क्षमता हमें उतम जीवन शैली की ओर प्रेरित करती है जो कि मन, शरीर और आत्मा के लिए उपयुक्त है। हालांकि, इसके लिए हमें एक ब्रह्मनिष्ठ पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता होती है। जो कि व्यावहारिक तौर पर हमें ईश्वर की दिव्य अनुभूति आमने-सामने करवाने में भी सक्षम है।
इसलिए, हर किसी को पूर्ण गुरु की कृपा के साथ अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करनी चाहिए| क्योंकि केवल जागृत आत्मा ही तंदरुस्त शरीर और शिष्ट दिमाग के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने में मदद कर सकती है। श्री आशुतोष महाराज जी एक ऐसे ही सच्चे आध्यात्मिक सतगुरु हैं और उनसे ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए सभी का स्वागत है।