जन-जन तक ब्रह्मज्ञान और आदिनाम की महिमा को प्रसारित करने हेतु गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की असीम अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 17 अप्रैल 2022 को कम्युनिटी हॉल (अग्रवाल भवन), खजूरी गेट, बटाला, पंजाब में भजन संध्या- ‘भज गोविन्दम्’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रभु चरणों के आराधन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वी सुमेधा भारती जी ने ग्रंथों में निहित अध्यात्म और भक्ति के गहन रत्नों को उजागर किया। डीजेजेस के प्रचारकों द्वारा रचित दिव्य एवं भावपूर्ण भजनों ने पंडाल में आलौकिक एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार किया। भजनों के उत्साहवर्धक स्वरों ने उपस्थित श्रोताओं के अशांत और त्रस्त हृदयों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आज तक मानव ने ईश्वर और उनके अवतारों के विभिन्न नामों का पठन या महिमागान कर भक्ति को अपनाया है। परंतु भगवान का एक गुप्त आदिनाम है जो इस सम्पूर्ण जगत का मूल आधार और आदि-स्पंदन है। जिसका अस्तित्व अनादि काल से है और वह किसी भाषा या शब्द में नहीं आता। जैसा कि बाइबिल में कहा गया है- “सृष्टि के आदि में एक ‘शब्द’ था, ‘शब्द’ परमात्मा के साथ था, और ‘शब्द’ ही परमात्मा था। सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न हुआ”। साध्वी जी ने कहा की समस्त प्राणियों के प्राणों में प्रवाहित होने वाले इस आदिनाम से जुड़कर ही वास्तविक भक्ति और आनंद को प्राप्त किया जा सकता है। भक्तिपूर्ण भजन इसी आनंद की लौकिक अभिव्यक्ति हैं।
भजन का सही अर्थ समझाते हुए साध्वी जी ने यह भी कहा कि भजन एक साधना है जिसका उद्देश्य मन को आदिनाम पर एकाग्र करना है। समय के पूर्ण गुरु साधक के अंतर्घट में दिव्य विज्ञान ‘ब्रह्मज्ञान’ के माध्यम से इस नाम को प्रकट करते हैं। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अंतःकरण में ईश्वर के आनंद को अनुभव कर पाता है। तब यह भजन वास्तविक रूप में भक्त को भगवान से जोड़ने में सहायक होता है।
साध्वी जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रूपी सागर में गहरा उतरकर स्वयं को रूपांतरित करने के लिए प्रेरित किया। अंततः साध्वी जी ने बताया कि श्री आशुतोष महाराज जी समय के पूर्ण सतगुरु हैं, जो ब्रह्मज्ञान द्वारा तृतीय नेत्र को सक्रिय कर जिज्ञासुओं को आंतरिक रूप से जागृत करते हैं। और आध्यात्मिक वैद्य रूपी गुरु के श्री चरणों में पूर्ण समर्पण ही आत्म-परिवर्तन की प्राथमिक आवश्यकता है। नियमित साधना चेतना की उच्च अवस्था और मन की शांति के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है, जो समाज और विश्व में शांति स्थापित करने का एकमात्र मार्ग है।