गुरु अर्थात वह शक्ति जो अपने शिष्य को अज्ञानता के अन्धकार से दूर कर उसके भीतर ईश्वरीय दिव्य प्रकाश को आलोकित करती है। मनुष्य को उसके जीवन के परम लक्ष्य को बताने एवं उसे प्राप्त करवाने के लिए वह निराकार सत्ता, साकार रूप में इस धरा पर गुरु रूप में अवतरित होती है। जन मानस को एक पूर्ण संत की कसौटी प्रदान करने एवं एक शिष्य के जीवन में गुरु के महत्त्व समझाने के उद्देश्य से डीजेजेएस द्वारा 11 अक्टूबर, 2019 को पंजाब के मोगा में "दिव्य गुरु" नामक भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी त्रिपदा भारती जी ने श्रद्धालुओं की सभा को सम्बोधित करते हुए एक पूर्ण गुरु की जीवन में अनिवार्यता से अवगत कराया। ओजस्वी विचारों एवं भावपूर्ण भजनों की अनुपम श्रृंखला के माध्यम से गुरु सत्ता के पक्ष को जन-मानस के मध्य उजागर किया गया जिसका सभी ने पूर्ण आनंद उठाया।
साध्वी जी ने बताया कि सतगुरु हमारे रक्षक होते हैं। वह हमारे भीतर स्तिथ लोभ, मोह, क्रोध, विषय-वासना जैसी भीषण व्याधियों का अंत करने हेतु ब्रह्मज्ञान रुपी युक्ति प्रदान कर हमें आत्मोन्मुख बनाते हैं। वह केवल इस दुनिया में ही नहीं अपितु मृत्यु के उपरान्त भी सदैव अपने शिष्य को अपना दिव्य सानिध्य प्रदान करते हैं। जीवन में एक पूर्ण संत की शरणागति होना नितांत आवश्यक है। गुरु के बिना मुक्ति संभव नहीं है। जब मनुष्य के जीवन में एक पूर्ण गुरु आते हैं तब वह उसे दिव्य नेत्र प्रदान करते हैं जिससे मनुष्य का विवेक जाग्रत होता है और ध्यान- साधना की अग्नि में धीरे धीरे उसके सारे विकार जल कर स्वाहा हो जाते हैं। अतः एक शिष्य के जीवन में अपने गुरु का स्थान सर्वोपरि होना चाहिए।साध्वी जी ने बताया कि एक पूर्ण गुरु ही शिष्य को धर्म के मार्ग की ओर प्रशस्त करते हैं। वर्तमान में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी भी जन-जन को ब्रह्मज्ञान रुपी अनमोल निधि प्रदान कर उन्हें धर्म के मार्ग की ओर प्रशस्त कर रहे हैं। ध्यान-साधना के निरंतर अभ्यास से सकारात्मक ऊर्जा शक्ति का प्रवाह होता है। एक पूर्ण गुरु के शिष्य होने के नाते हम सभी को उनके दिखाए मार्ग पर पूर्ण दृढ़ता एवं विश्वास से चलना चाहिए। इस अनूठे कार्यक्रम ने सभी के शुष्क हृदयों को गुरु प्रेम से भर डाला। सभी ने इस कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की एवं भक्ति मार्ग पर निर्बाध गति से चलने का संकल्प धारण किया।