दुनिया भर में मानव जाति के बीच यह आम धारणा है कि जीवन में अधिक से अधिक भौतिक संपदा और समृद्धि हासिल करनी चाहिए। आध्यात्मिक धन व जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोगों में तड़प नहीं हैं। इंसान, सर्वशक्तिमान की अद्भुत रचना ब्रह्मांड का सर्वोच्च चमत्कार हैं, परन्तु फिर भी मानव अपने परम उद्देश्य के बारे में अनजान रहता हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान आध्यात्मिक कार्यक्रमों को आयोजित करने में अग्रणी रहा है ताकि लोगों को शास्त्रों के साथ-साथ सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ा जा सके। इसी श्रृंखला में 8 से 14 दिसंबर 2019 तक हैदराबाद, तेलंगाना में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा द्वारा भागवत कथा का शुभारम्भ वैदिक मंत्रों से हुआ, तदुपरांत गणेश वंदना के माध्यम से प्रभु के चरण कमलों में प्रार्थना की गई। सात दिवसीय आध्यात्मिक कथा में कई भक्तों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति देखी गई। कथा व्यास साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने वैदिक शास्त्रों में से भगवान कृष्ण के दिव्य उपदेशों का वर्णन किया।
साध्वी जी ने उत्साहपूर्वक तरीके से भगवान श्री कृष्ण द्वारा प्रतिपादित आध्यात्मिक रहस्यवाद को प्रगट किया। प्राचीन भौतिक दर्शन के एक प्रमुख उपदेशक के रूप में श्री कृष्ण ने शाश्वत ज्ञान की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कृष्ण को एक आदर्श गुरु के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने अर्जुन को ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर-साक्षात्कार प्रदान किया। उन्होंने सरलता और उचित तर्क के माध्यम से अर्जुन को अनन्त ज्ञान का उपदेश देकर उसकी मानसिक और भावनात्मक दुविधाओं से बाहर आने में मदद की। श्री कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से मोह और तनावपूर्ण प्रवाह को समाप्त करने के विषय में समझाया।
साध्वी जी ने अपने विचारों में बताया कि भगवान कृष्ण के साथ स्थायी मिलन हेतु हमें उनके उल्लेखनीय विचारों का अनुसरण करना चाहिए और उनके जैसे आध्यात्मिक पूर्ण सतगुरु की खोज करनी चाहिए। एक पूर्ण सतगुरु स्वयं अनन्त ज्ञान के नियमों का पालन करते हैं और अपने शिष्यों को भी यही उपदेश देते हैं। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी समकालीन युग के सिद्ध आध्यात्मिक वैज्ञानिक हैं जिनका लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार के शाश्वत विज्ञान के माध्यम से दुनिया को एकीकृत कर रहा है। सनातन ज्ञान की आनंदमय तकनीक ही आत्म-परिवर्तन का आधार है और यही पद्धति दिव्य आकांक्षी की सर्वोच्च चेतना को जागृत करती है। ध्यान की सनातन पद्धति एक व्यक्ति के भीतर सकारात्मकता और ज्ञान को बढ़ाती है।
उपस्थित लोग कथा द्वारा संस्थान की सामाजिक व आध्यात्मिक गतिविधियों को जान प्रभावित हुए व उन्होंने इन गतिविधियों में अपना सहयोग देने की इच्छा व्यक्त की। अनेक जिज्ञासु ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर दर्शन से लाभान्वित हुए।