अपनी जीवन यात्रा के अंतर्गत, हम किसी ना किसी से प्रभावित और प्रेरित होते हैं जिन्हें हम अपने जीवन में शिक्षक अर्थात गुरु का स्थान देतें हैं। अतः हमारे सांसारिक एवं आध्यात्मिक जीवन में गुरु का स्थान उनकी आवश्यकता परमावश्यक है।
हरियाणा के गुरुग्राम में 2 फरवरी, 2019 को आयोजित 'हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला' में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) ने एक शिष्य के जीवन में आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता के बारे में जन मानस को अवगत कराया। डीजेजेएस की ओर से गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी श्वेता भारती जी ने "आचार्य वंदन" के विषय पर विस्तारपूर्ण समझाया एवं शिष्य के आध्यात्मिक विकास में गुरु की भूमिका और उसके महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि जिस प्रकार सांसारिक जीवन में सफलता के लिए हमें एक अच्छे गुरु, मार्गदर्शक एवं विषय विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार जनम- मरण के बंधन से मुक्ति के लिए भी इस संसार रुपी भवसागर से पार लगाने के लिए और उस आनंद के परमस्रोत की प्राप्ति के लिए हमें आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार एक रोग के बारे में यदि हमें कोई जानकारी है तो भी रोग मुक्त होने के लिए हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ता है ठीक इसी प्रकार शास्त्र ग्रंथों का अध्ययन करने मात्र से जीवन में आत्म ज्ञान की प्राप्ति गुरु के बिना नहीं हो सकती। वो परमसत्ता साकार रूप में सतगुरु के रूप में इस धरा पर अवतरित होती है और अपने निराकार रूप यानी प्रकाश स्वरुप से हमें अवगत कराती है।
सतगुरु सदैव एक माँ की ही भांति अपने शिष्य को करुणा एवं दया से सींचते है। उनका प्रेम एवं दिव्य सानिध्य सदैव अपने शिष्य का मार्गदर्शन करता है। ब्रह्मज्ञान रुपी अनमोल निधि को अपने शिष्यों को प्रदान कर वह उनके मन की मलिनता एवं अवसादों को दूर करने का कार्य करते हैं। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही आज का पथभ्रष्ट युवा पुनः सही मार्ग की ओर अग्रसर हो जीवन में उस परमानन्द को प्राप्त कर सकता है और जीवन को सफ़ल बना सकता।
अतः जीवन में ज्ञान के सर्वोच्च शिखर उस ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के लिए जीवन में एक पूर्ण सतगुरु का सान्निध्य और मार्गदर्शन नितांत आवश्यक है।