जलवायु परिवर्तन की रोकथाम हेतु व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी का वहन करते हुए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने पृथ्वी को पुनः ऊर्जावान बनाने के लिए आध्यात्मिक मार्ग अपनाया। अर्थ आवर 2022 के अवसर पर, डी.जे.जे.एस ने वैश्विक स्तर पर अपने पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प - संरक्षण के तहत एक घंटे के ब्रह्मज्ञान आधारित साधना सत्र - ग्लोबल ध्यान आवर का आयोजन किया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञानी शिष्यों ने न केवल एक घंटे के लिए अनावश्यक बत्ती व अन्य बिजली के उपकरणों को बंद किया बल्कि अपने आंतरिक दिव्य प्रकाश से जुड़कर रुग्ण संसार को स्वस्थ करने हेतु प्रचुर मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।
एक दशक से अधिक समय से डी.जे.जे.एस 60+ अर्थ आवर मुहिम का भाग रहा है। ब्रह्मज्ञान पर आधारित साधना के माध्यम से जागरूकता का प्रसार करना डी.जे.जे.एस का प्रतिमान है। इसी को आगे बढ़ाते हुए अर्थ आवर के उपलक्ष पर डी.जे.जे.एस संरक्षण ने इस वर्ष साधना सत्र के साथ-साथ अपने सोशल मीडिया हैंडल्स के द्वारा जलवायु परिवर्तन के विषय पर लोगों को जागरूक किया। अर्थ आवर में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के सभी आयु वर्गों के शिष्य सम्मिलित हुए। दिल्ली स्थित दिव्य धाम आश्रम में समूचे विश्व से आये हुए, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के सन्यासी शिष्यों ने एक घंटे की सामूहिक साधना कर विश्व शांति ध्यान यज्ञ में अपने अध्यात्मिक उर्जा पुंज की आहुति अर्पित की।
जलवायु परिवर्तन, मानवजाति के लिए पर्यावरण संबंधी सबसे बड़ा संकट है। इसका दुष्प्रभाव केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि सर्वत्र अनुभव किया जाएगा। आईपीसीसी की छठी आंकलन रिपोर्ट 2022 के अनुसार ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है। अनुमानित है कि बढ़ती गर्मी के साथ चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति व तीव्रता का सीधा प्रभाव खाने की उपलब्धता एवं क़ीमत पर पड़ेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि वायुमंडल में बढ़ती हुई कार्बन डाइऑक्साइड तथा जलवायु परिवर्तन के कारण आहार संबंधी संकट एवं ग़ैर-संचारी रोग व कुपोषण में बढ़ोतरी होगी।
समस्या को नज़र अंदाज़ करना समाधान नहीं है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की रोकथाम हेतु सरकारों और नीतियों के स्तर पर एक जुट और पुरज़ोर प्रायसों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी कटिबद्धता अनिवार्य है। चिरस्थाई जीवन शैली व सूझवान उपभोग इस समस्या के स्थाई समाधान हेतु आवश्यक हैं।
दुर्भाग्यवश, व्यक्तिगत स्तर पर इस समस्या के प्रति जागरूकता का आभाव ही इसके समाधान में सबसे बड़ा बाधक है। इसी आभाव को ध्यान मे रखते हुए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प - संरक्षण कार्यशालाओं, पदयात्राओं व आध्यात्मिक सभाओं के माध्यम से जन-जन को इस विषय में जागरुक करने हेतु प्रयास रत है। केवल जानकारी ही नहीं अपितु अध्यात्म के सर्वोच्च विज्ञान – ब्रह्मज्ञान के माध्यम से संस्थान मानवों को आंतरिक स्तर पर जागृत कर समस्या की जड़, मानव की अज्ञानता व अहंकार द्वारा पोशित भोगवादी प्रवृत्ति का उन्मूलन कर रहा है।
संस्थान की यही रण नीति अर्थ आवर में भी परिलक्षित होती है। बाहरी जागरूकता प्रयासों के साथ–साथ पर्यावरण को संतुलित करने हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा का योगदान संस्थान का एक विलक्षण प्रयास है। क्योंकि हमारा मानना है की आत्म चिंतन व मंथन में ही महा परिवर्तन को साकार करने की शक्ति है।
संरक्षण दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प है जो गत दो दशकों से दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की प्रेरणा से मानव और प्रकृति के धूमिल होते संबंध को पुनर्स्थापित करने हेतु कार्यरत है। अधिक जानकारी के लिए – www.djjs.org/sanrakshan पर जाएं व Instagram पर भी @djjssanrakshan को follow करें।