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गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान प्राचीन विरासत के शाश्वत ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है l इसी के तहत संस्थान द्वारा 19 जनवरी 2020 को हरियाणा के जगाधरी क्षेत्र में एक दिव्य आध्यात्मिक मासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गयाl संस्थान के प्रतिनिधियों ने 'भक्ति' के महत्व को समझाते हुए बताया कि यही एक मार्ग है जहाँ जीव आध्यात्मिक एवं समग्र स्तर पर उत्थान कर सकता है परन्तु यह तभी संभव है जब वह पूर्ण गुरु की शरणागत होकर ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति कर श्रद्धा, विश्वास एवं दृढ़ता से इस भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ता हैl

DJJS Reiterated Significance of Guru in Monthly Spiritual Congregation Held at Jagadhri, Haryana

आज कल हम अत्याधुनिक उपकरणों से एक पराधीन जीवन जी रहे हैं, लेकिन जहाँ तक हमारी आध्यत्मिक या आंतरिक कुशलता का सम्बन्ध है, ये सम्पूर्ण तकनीकि विकास हमें पीछे की ओर ले जा रहे हैं l  सच्चाई यह है कि हर बीतते दिन के साथ हम अपने बुनियादी  मानवीय मूल्यों को खोते जा रहे हैं, हम सांसारिक वस्तुओं में प्रसन्नता  पाने की कोशिश करते हैं बल्कि इस मूल्यवान मानव जीवन का उद्देश्य इससे कहीं अधिक मूल्यवान है l  हम अपना जीवन एक मशीन के मानिंद जी रहे हैं l संक्षेप में हम सभी पूर्ण अराजकता की दुनिया में जी रहे हैं , यह मानते हुए कि यह हमारा भाग्य है , परन्तु इस अराजकता को कुशलता से प्रबंधित किया जा सकता है यदि हम अपने अंदर विद्यमान ईश्वर की आतंरिक वाणी को सुने l  हम स्वयं अपने मन के आधीन होते जा रहे हैं और उस परम शक्ति ईश्वर को भूलते जा रहे हैं l हम मूलभूत मूल्यों का अनुसरण कर तो रहे हैं परन्तु अस्पष्ट रूप से l कार्यक्रम में आगे यह बताया गया कि हम किस प्रकार अपने जीवन-पथ को उस ईश्वर की भक्ति से जोड़ सकते है तथा महापुरषों द्वारा बताई गई आत्मज्ञान की ध्यान साधना द्वारा धार्मिकता के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैl

जब एक जीव पूर्ण गुरु से ज्ञान प्राप्त कर भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ता है तब उसे कई नियमों का पालन करना पड़ता है! शिष्य को निरंतर ध्यान साधना करना बहुत आवश्यक है इससे साधक आत्म-मूल्यांकन कर पाता है तथा अपनी कमिओं को सुधारने में सफ़ल हो पाता है l गुरु अपने शिष्यों की मदद करने और आशीर्वाद देने के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं ताकि वे आध्यात्मिकता के सागर में डुबकी लगा कर अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकें, परन्तु कोई भी कार्य तब तक नहीं किया जा सकता जब तक एक साधक ईमानदारी से प्रयास न करे l इसके अलावा, आध्यात्मिकता की गहराई में कृतज्ञता की भावना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है l  कृतज्ञता मात्र इस मूल्यवान जीवन के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक क्षण के लिए होनी चाहिए l हमारे प्रत्येक कर्म, विचार तथा वाणी में एक ही प्रार्थना होनी चाहिए कि उनकी ही कृपा से हमें अपने अन्तःस्थ  ईश्वर को देखने का अवसर प्राप्त हुआ l

DJJS Reiterated Significance of Guru in Monthly Spiritual Congregation Held at Jagadhri, Haryana

कार्यक्रम में सामूहिक रूप से मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए प्रार्थना एवं सामूहिक रूप से ध्यान साधना भी की गयी l कार्यक्रम का समापन सामूहिक भंडारे के साथ हुआ l उपस्थित श्रद्धालुओं ने सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव भी किया l

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