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नूरमहल, पंजाब. आधुनिक समाज में दीपावली के ऊर्जा व संसाधन सघन पर्यावरण प्रतिकूल आयोजन को तिलांजलि देते हुए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डी.जे.जे.एस.) ने प्रकृति अनुकूल जीवनशैली के सिद्धांत को आगे रखते हुए 24 अक्टूबर 2022 को नूरमहल आश्रम, पंजाब में अपने वार्षिक सामाजिक-आध्यात्मिक-सांस्कृतिक ग्रीन दिवाली कार्यक्रम का आयोजन किया। आश्रम को खाद्य रंगों से बनी रंगोलीयों और शत-प्रतिशत प्लास्टिक मुक्त और पुनर्नवीनीकरण सजावट से सजाया गया। इस वर्ष संगठन ने एक लाख दस हजार मिट्टी के दीये जलाकर 'एक सामाजिक आध्यात्मिक संगठन द्वारा जलाए गए सर्वाधिक दीये' के लिए 'इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में विश्व रिकॉर्ड दर्ज कराया।

DJJS reiterates the eco-friendly mantra; celebrates Green Diwali in Nurmahal Ashram, Punjab creating a world record by lighting 1.1 lakh Diyas

 रोशनी का त्योहार दीपावली अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हालांकि, समय के प्रवाह में त्योहार का गहरा सामाजिक-आध्यात्मिक सार लुप्त हो गया है। पर्व के अध्यात्मिक सार को पुनर्जीवित करने व् चिरस्थाई जीवनशैली के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए, संस्थान पिछले एक दशक से अपने पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प - संरक्षण के तेहत चलाई जाने वाली मुहिम जागो के अंतर्गत देश भर में पर्यावरण अनुकूल, पटाखा मुक्त और स्थानीय कारीगरों के लिए सहयोगी ग्रीन दीपवाली मना रहा है|

उक्त भव्य सामुदायिक कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पारंपरिक हवन-यज्ञ से हुआ। तत्पश्चात दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञानी शिष्यों द्वारा रुद्री पाठ किया गया, जिसके बाद मंगल आरती और गुरुदेव का पूजन किया गया। त्योहार के आध्यात्मिक महत्व को अभिव्यक्त करता सुमधुर भक्ति संगीत कार्यक्रम, गूढ़ अध्यात्मिक प्रवचन, और एक विस्मयकारी नृत्य-नाटिका - 'श्री हनुमान और आधुनिक मनुष्य के बीच एक वार्तालाप' भी प्रस्तुत किये गए।

DJJS reiterates the eco-friendly mantra; celebrates Green Diwali in Nurmahal Ashram, Punjab creating a world record by lighting 1.1 lakh Diyas

पर्व के एतिहासिक परिपेक्ष को रखते हुए दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुमेधा भारती जी ने समझया कि “रावण को हराने के बाद जब विजय श्री को प्राप्त कर भगवान् श्री राम अयोध्या लौटे तब दीपवाली पर्व का आयोजन प्रथम बार किया गया|अमावस्या की उस रात्रि में अयोध्यावासियों ने दीप मालों से सम्पूर्ण नगरी को सजाकर अन्धकार पर प्रकाश की विजय को मनाया| यह ऐतिहासिक घटना एक गहरा आध्यात्मिक प्रतीक है, जो मानव जाति को आत्म साक्षात्कार के शाश्वत विज्ञान - ब्रह्मज्ञान के माध्यम से घट भीतर भगवान श्री राम को जानने के लिए प्रेरित करती है, ताकि भीतर रावण (अर्थात विकारों) का अंत कर शरीर रुपी अयोध्या को प्रकाशित किया जाए और हर दिन उत्सव बन जाए|”

कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण आकर्षण पारंपरिक पंजाबी नृत्य प्रदर्शन 'जागो' था, जिसका सामाजिक-आध्यात्मिक प्रतिपादन डी.जे.जे.एस के निस्वार्थ स्वयंसेवकों द्वारा जनता को जागृत करने और उन्हें स्थायी जीवन के मार्ग पर ले जाने के लिए किया गया।

पंजाब और आसपास के गणमान्य व्यक्तियों और पर्यावरण के प्रति उत्साही लोगों सहित सभी आयु वर्ग के हजारों लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया और इस तरह के ज्ञानवर्धक और मंत्रमुग्ध करने वाले कार्यक्रम के आयोजन के लिए संगठन के प्रति अपनी प्रशंसा और आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम को स्थानीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा भी व्यापक रूप से कवर किया गया।

कार्यक्रम का समापन एक पौधा वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित लोगों को पौधे प्रदान कर आने वाले वर्षों में दिवाली के अवसर पर  पर्यावरण अनुकूल उपहारों  को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

डी.जे.जे.एस संरक्षण एक विशेष प्रकृति संरक्षण कार्यक्रम है जो लुप्त हो रहे मानव-प्रकृति संबंधों को पुनः स्थापित करने  की दिशा में काम कर रहा है। निस्वार्थ प्रकृति संरक्षकों के माध्यम से डी.जे.जे.एस. जन सामान्य को प्रकृति अनुकूल जीवन शैली के प्रति जागरूक कर कर रहा है व उसकी ओर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है| संरक्षण प्रकल्प से संबन्धित अधिक जानकारी के लिए, इंस्टाग्राम पर @djjssanrakshan को फॉलो करें और  www.djjs.org/sanrakshan पर जाएं।

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