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15 अक्टूबर को “शरद पूर्णिमा” के शुभ अवसर पर संस्थान के सम्पूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम- ‘आरोग्य’ के तहत- ‘वार्षिक शरद पूर्णिमा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य शिविर’ आयोजित किए गए| यह कार्यक्रम संस्थान के विभिन्न आश्रमों- पंजाब के नूरमहल और डबवाली मलकों की, दिल्ली स्थित दिव्य धाम आश्रम, हरियाणा के कुरुक्षेत्र, बिहार के सहरसा, कर्नाटक के बेंगलुरु, मध्य प्रदेश के भोपाल व महाराष्ट्र के चाकन आश्रम में आयोजित किए गए| इस शिविर में दमा, खांसी, नज़ला, साइनस जैसे रोग का आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज किया गया| यह शिविर हर वर्ष अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है| लगभग 10,000 से अधिक लोग इसके माध्यम से लाभान्वित हुए| उपस्थित आयुर्वेदचार्यों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा में शरीर और आत्मा को सुदृढ़ करने वाले औषधीय गुण होते हैं| इसी कारण, पूरे दिन उपवास रखकर रात में, खुली चांदनी में मिट्टी या चांदी के बर्तन में पकाई गई खीर का सेवन किया जाता है| यह खीर, सर्दियों की शुरुआत के साथ बढ़ने वाले पित रोग के प्रभाव को शांत करती है| साथ ही संस्थान प्रवक्ता ने बताया कि इस त्योहार का महान आध्यात्मिक महत्व भी है| इसी दिन देवी लक्ष्मी की पूजा कर एक साधक दिव्य गुणों के आशीर्वाद के लिए मां का आह्वान करता है। संस्थान प्रतिवर्ष इस त्योहार के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और चिकित्सीय गुणों को  पुनर्जीवित करने के आशय से इस शिविर का आयोजन करता है| इस बार भी बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और नियमित रूप से लाभार्थियों का आना हुआ| कार्यक्रम की शुरूआत सामूहिक प्रार्थना और भजन के साथ की गई| रात भर जागने की व्यवस्था हेतु सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए| साथ ही, मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के समग्र लाभ पर भी जागरूक किया गया। आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा सभी रोगों के लिए मुफ्त परामर्श और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध करवाई गईं|

DJJS 'Sharad Purnima Ayurvedic Health camps' extends traditional cure for Asthma

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