आधुनिक युग, यंत्र उपकरणों से युक्त एक मशीनी युग है। आज यह मशीनीकरण व्यक्ति के जीवन में तनाव, नकारात्मकता, उद्विग्नता जैसी कई अन्य समस्याओं का मूल आधार है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित मासिक सत्संग समागम, आध्यात्मिक विचारों की एक ऐसी श्रृंखला है जिसका उद्देश्य भक्त श्रद्धालुगणों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विचारों से परिपोषित कर उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना है। विचारों की इन्ही श्रृंखला में एक और कड़ी को जोड़ते हुए डीजेजेएस द्वारा 10 मार्च, 2019 को दिल्ली स्तिथ दिव्य धाम आश्रम में मासिक सत्संग समागम का आयोजन किया गया जिसमें समर्पित प्रचारक, सेवादार, एवं दिल्ली-एन सीआर के भक्त श्रद्धालुगण सम्मिलित हुए।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने अनुशासन एवं समर्पण के विषय में समझाते हुए बताया कि जब एक पूर्ण संत द्वारा शिष्य अपने भीतर ईश्वर का साक्षात्कार करता है और फिर गुरु पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनकी प्रत्येक आज्ञा एवं निर्देशों का पूर्णरूपेण पालन कर भक्ति मार्ग में आगे कदम बढाता है। जिस प्रकार पूरी तरह से खोखली बांस द्वारा ही सुमधुर तराने छेड़ने वाली बांसुरी का निर्माण किया जाता है। ठीक उसी प्रकार एक शिष्य को भी स्वयं को अहंकार एवं अन्य सांसारिक दोषों से रहित कर स्वयं को गुरु चरणों में समर्पित कर देना चाहिए ताकि गुरु उसका निर्माण कर पाएं। गुरु एवं शिष्य का सम्बन्ध आत्मा और मन के स्तर पर एक चिरस्थायी मिलन है। पूर्ण समर्पण द्वारा ही एक शिष्य अपने मन को नियंत्रित कर उसे स्थायित्व प्रदान कर पाता है।
कार्यक्रम में भावपूर्ण एवं प्रेरणादायी भजनों की अनुपम श्रृंखला द्वारा गुरुरूपी परमशक्ति के दिव्य रहस्यों एवं एक शिष्य के जीवन में उनकी भूमिका को सबके समक्ष रखा। नि:स्वार्थ सेवा, ध्यान के निरन्तर अभ्यास एवं गुरु चरणों में पूर्ण समर्पण से एक शिष्य भक्ति के जटिल मार्ग में भी निर्बाध गति से बढ़ता हुआ आत्मिक शांति को प्राप्त कर पाता है। प्रचारक शिष्यों ने बताया कि गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी एक तत्ववेता गुरु हैं जो ब्रह्मज्ञान प्रदान कर अपने प्रत्येक शिष्य के घट में उस परमात्मा का साक्षात्कार करा उन्हें भक्ति के पथ पर अग्रसर कर रहे हैं। उपस्थित भक्तजनों ने कार्यक्रम में प्रदान किये गए प्रेरणादायी विचारों का पूरा लाभ उठाया एवं साथ ही साथ संस्थान के विश्व शान्ति के मिशन में यथासंभव योगदान देने का प्रण भी लिया।