परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में स्कूल के १३ वर्ष से कम आयु के छात्रों के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा नूरमहल, पंजाब में ९ जून से १३ जून 2019 तक ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया गया।गतिविधि आधारित शिविर में योग, कराटे एवं बाहर खेले जाने वाले खेलों के सत्र शामिल थे।इसके अलावा डीजेजेएस के प्रतिनिधियों द्वारा मानवीय मूल्यों, शारीरिक और आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और संचार कौशल जैसे विषयो पर इंटरैक्टिव व्याख्यान दिए गए।बच्चो को संस्थान की कामधेनु गौशाला का भ्रमण कराने के साथ संगीत और नृत्य प्रदर्शन के द्वारा शिविर का समापन किया गया।
ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चो को गैजेट्स से दूरी बनाने के लिए प्रेरित किया गया।शिविर में गतिविधियों के माध्यम से बच्चो को भीतर और बाहर जुड़ने के प्रामाणिक तरीको से अवगत कराया गया।उन्हें आंतरिक आत्मा के साथ तालमेल रखने की विधि सिखाई गई।
मानवीय मूल्यों पर व्याख्यान देते हुए संस्थान के वक्ताओं ने कहा की यह ज्ञान ही है जो सभी नैतिक रूप से सही कार्यो की ओर ले जाता है।लेकिन ज्ञान होने के लिए हमें सदैव सार्वभौमिक चेतना अर्थात ईश्वर से जुड़ा होना चाहिए ओर इसके लिए हमें एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है जो हमारे तृतीय नेत्र (दिव्य दृष्टि) को खोलकर हमें भीतर की ओर ले जाते है।इस प्रक्रिया के माध्यम से गुरु एक साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करते है।यह वह भारतीय प्राचीन पवित्र तकनीक है जिसे ब्रह्मज्ञान कहा जाता है।
एक बार जब तृतीय नेत्र सक्रिय हो जाता है तो हमारा जीवन ऊचाइयों को प्राप्त करता है।हमें यह आभास होता है कि हमारे प्रत्येक कार्य में सार्वभौमिक प्रतिध्वनि है ओर इसीलिए प्रत्येक किया हुआ कार्य समाज हित के लिए ही होता है।यह आध्यात्मिक जागरूकता हमें विवेकी बनाती है जो फिर एक अनुशासित जीवनशैली, ध्यान केंद्रित मन ओर समग्र स्वास्थ्य सुधार कि शुरुआत करता है।श्रेष्ठता की ओर जीवन एक वास्तविक उड़ान लेता है ।