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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संस्थान के प्रकृति संरक्षण कार्यक्रम- संरक्षण द्वारा 5 जून को "पुनर्निर्माण" का विषय आगे बढ़ाया गया| पुनर्निर्माण- मानव-प्रकृति के संबंधों को पुनर्निर्माण करने का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित "मनुष्य को प्रकृति से जोड़ना"। इस विषय के तहत,संस्थान के संरक्षण प्रकल्प ने देश भर में बहुत सी कार्यशालाएं, संवेदीकरण ड्राइव, प्रकृति की सैर और पूरे भारत में स्थायी बूथों को भी स्थापित किया। दिल्ली की Karkardooma शाखा ने 7 जून को Hanuman Vatika, Dilshad Garden में एक Cleanliness drive & awareness desk लगाया| यहाँ एक स्वच्छता अभियान चलाया गया| जिसमें लोगों को आसपास के वातावरण को साफ रखने और माँ पृथ्वी के प्रति सम्मान करने के लिए भावना पैदा की गई| स्वयंसेवकों ने क्षेत्र में एक मार्च निकालकर पर्यावरण संकट के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई। उन्होंने एक नुक्कड़ नाटक भी सबके प्रस्तुत किया| उत्तर प्रदेश, मेरठ शाखा ने 1 जून को श्री राम सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल, दिल्ली रोड, मेरठ में बच्चों को प्रकृति के साथ फिर से जोड़ने का इरादा लेकर एक कार्यक्रम किया। साध्वी नीलम भारती जी ने संस्थान का एक संक्षिप्त परिचय दिया और इसकी प्रकृति संरक्षण पहल "संरक्षण" के बारे में भी बताया| इसके बाद, संरक्षण स्वयंसेवकों ने एक स्किट से कचरा सामग्री का पुन: उपयोग करना भी सिखाया| पुराने और बेकार प्लास्टिक की बोतलों से एक शोपीस बनाकर पुन: उपयोग की अवधारणा का प्रदर्शन किया फिर, सभी ने पारिस्थितिक संतुलन के लिए भगवान से प्रार्थना की। अंत में, स्वयंसेवकों ने सभी को पौधे वितरित किए। वहीं, Ghaziabad शाखा ने 10 जून को लड़कियों और महिलाओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। शुरूआत में, गंभीर पर्यावरण की स्थिति के बारे में प्रचारकों द्वारा जानकारी उपलब्ध करवाई गई| इसके बाद, एक प्रबुद्ध skit और dance ballet भी प्रस्तुत किया गया जिससे सभी को इस समस्या के खिलाफ़ खड़े होने के लिए जागृत किया गया| संस्थान द्वारा लगे गई प्रदर्शनी से लोगों को पर्यावरण के नुकसान की मात्रा का एहसास हुआ| Karkardooma शाखा ने Pocket A, E, I और Sai Chowk, दिलशाद गार्डन में एक रैली निकाली| स्वयंसेवकों ने पर्यावरण की बिगड़ती हालत के प्रति लोगों को जागरूक करने  के लिए नारे लगाए और उन्हें सीमित संसाधनों की रक्षा के लिए आग्रह किया। उन्होंने क्षेत्र की एक व्यस्त सड़क पर जलवायु परिवर्तन पर एक skit प्रस्तुत की और सभी को अपने समर्थन को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया| इसी के चलते, Ayushyam center में भी बालिकाओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया| जिसमें छोटी  उम्र में ही बच्चों में पर्यावरण-संबंधी मूल्यों को प्रोत्साहित किया गया। शुरुआत में, बच्चों ने माता धरती के लिए ध्यान में कुछ समय बिताया। इसके बाद, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव के बारे में जागरूक बच्चों द्वारा विभिन्न मजेदार और सूचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया। साध्वी चैतन्या भारती जी ने अपने व्याख्यान में बच्चों को समझाया गया कि प्रकृति ही मानव के जीवित रहने का आधार है। उन्होंने बच्चों को अपने नियमित जीवन में 3Rs- reduce, recycle और reuse के लिए प्रोत्साहित किया। पंजाब, जालंधर शाखा ने प्रताप बाग में पुनर्निर्माण के लिए स्थायी जीविका बूथ की स्थापना करके जनता को संवेदनशील किया। स्वयंसेवकोण ने जागरूकता बूथ पर पुराने टी-शर्ट, कप, बल्ब, पेपर आदि के उपयोग से बनी चीज़ों को प्रदर्शित किया। इस मौके पर प्रताप बाग सोसाइटी अध्यक्ष- प्रवीण तलवार जी, वकील- श्री संजीव शर्मा और व्यवसायी- राजिंदर गुप्ता जैसे गणमान्य अतिथि भी पधारे| पंजाब, कपूरथला शाखा ने Sultanpur Road, Sheikhupur में आध्यात्मिक मंच के माध्यम से जनसंवेदीकरण की शुरुआत की। अपने व्याख्यान में, श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी सुखबीर भारती जी ने समझाया कि वैदिक युग में पर्यावरण बिल्कुल स्वच्छ था क्योंकि लोग प्रकृति के साथ अपने संबंधों को मानते थे। उन्होंने लोगों को अवगत कराया कि प्रकृति और इसके संसाधनों ने ही मनुष्यों के अस्तित्व को संभव बनाया है। उपस्थित लोगों ने अंत में, पर्यावरण रक्षण के लिए प्रतिज्ञा भी ली| वहीं, लुधियाना शाखा ने 6 जून को Rose garden में एक Nature walk आयोजित की| इस अवसर पर बच्चों के साथ प्रकृति की सैर का आयोजन किया। स्वयंसेवकों ने बच्चों को पार्क में ले जाकर उन्हें विभिन्न पौधों के नाम और उपयोग के बारे में पूछा। उन्होंने उन्हें बगीचे में विभिन्न औषधीय पौधों के बारे में भी बताया और उन्हें समझाया कि पहले के समय में लोग उन्हें उपचार के उद्देश्य के लिए कैसे प्रयोग करते थे| बच्चों को जलवायु परिवर्तन को रोकने में पेड़ों की भूमिका के बारे में भी संवेदनशील किया गया| इसी कार्यक्रम में, एक ड्राइंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने पत्तियों से प्रकृति से संबंधित चित्र बनाए। लुधियाना शहर के विभिन्न स्थानों जैसे- Sector-32, Ludhiana, Gobind Gaudham aur  Pavilion mall  में भी पुनर्निर्माण अभियान के तहत एक स्थायी जीवित बूथ स्थापित किया गया। इन सभी बूथों का दौरा करने वाले लोग पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन, विभिन्न उद्योगों और पूरे ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर संवेदनशील हुए| पुराने टी-शर्ट और अपशिष्ट पदार्थ से बने कुछ उत्पाद को काउंटर पर भी रखा गया| अंत में, लोगों ने इस मुद्दे के खिलाफ खड़े होने का प्रतिज्ञा ली। वहीं, बच्चों में पर्यावरण संरक्ष्ण के प्रति जागरूकता जगाने के लिए- Adarsh school, Ambedkar nagar, Ludhiana; Indian Public school, Ambedkar nagar, Giaspura और SSB memorial Day Boarding School, Tibba road, Ludhiana में संवेदीकरण व्याख्यान का आयोजन किया गया| पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या- जलवायु परिवर्तन की चर्चा बच्चों के बीच की गई| साथ ही बताया कि वैदिक युग में लोग हमेशा यह सुनिश्चित करते थे कि उनके किसी भी कार्य से पर्यावरण को कोई नुकसान न हो क्योंकि वे प्रकृति के साथ अपना एक सुंदर  संबंध मानते थे| इसके अलावा, बच्चों को उनके जीवन में 3Rs की अवधारणा को अपनाने और ग्रह को बचाने में योगदान देने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। लुधियाना के मोती नगर इलाके में भी इसी के चलते, एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया।

Environment Day 2017| Sanrakshan reconnected people with nature through its REBUILD Campaign

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