हर युग में मानवता ने सर्वोच्च शक्ति की कृपा को पाया है। सर्वोच्च दिव्यता ने विचारों या संवादों के माध्यम से मानव जाति को ज्ञान दिया है व गहन ज्ञान को प्रगट करते हुए, मानव में निहित देवत्व को जागृत करने का मार्ग प्रदान किया हैं। मानव जाति पर दिव्य शक्ति की ऐसी ही कृपा श्रीमद भगवद्गीता के रूप में हुई, जो भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद है। भारतीय प्राचीन साहित्य वेदों और अन्य धर्मग्रंथों के रूप में आध्यात्मिक जीवनधारा और प्रबंधन के रूप में विश्व को बहुमूल्य उपहार है, जो व्यावहारिक जीवन का संपूर्ण मॉडल प्रदान करता है।
जीवन के इस प्रशासनिक सार की गहनता को समझाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा व मार्गदर्शन में एक कार्यशाला का आयोजन किया। गीता और जीवन प्रबंधन विषय पर आयोजित यह कार्यशाला 18 अगस्त, 2019 को एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया में की गयी। इस अवसर पर अनेक सम्मानित अतिथि उपस्थित रहें व उन्होंने संस्थान के कार्यों व प्रयासों की सराहना भी की।
1. श्री राजा मोहन कंभोजी (अध्यक्ष, श्री शिरडी साईं बाबा संस्थान)
2. कुमारी मोनिका कुमार (संसद सदस्य, टोर्रेंस सदस्य)
3. श्री राजेंद्र पांडे (समन्वयक, विश्व हिंदू परिषद)
4. श्री शिव शंकर गौड़ा (अध्यक्ष, एडिलेड कन्नड़ संघ)
5. श्री पुनीत और श्री जौहर गर्ग (सदस्य, जय दुर्गा संकीर्तन मंडल)
6. कुमारी रचना शर्मा और श्री चरणदास शर्मा (समन्वयक, निस्वार्थ सेवा समिति)
7. कुमारी आशिमा गुम्बर और श्री हरिंदर रावल (सदस्य, जियो गीता समूह)
8. श्री सुरिंदर पाल चहल (अध्यक्ष, जट्ट महासभा दक्षिण ऑस्ट्रेलिया)
9. श्री अमित घई (प्रमुख, मरीना और फ़िएस्टा कैफे)
10. श्री अर्जुन तोखी (प्रबंध निदेशक, तोखी ड्राइविंग सॉल्यूशंस)
11. श्री नारायण राय (सदस्य, भारतीय ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएशन ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (IAASA))
साध्वी ओमप्रभा भारती जी ने गीता के उपदेशों व संदेशों को प्रभावशाली रूप से प्रचारित किया। उन्होंने इस प्रचलित धारणा का खंडन किया कि पवित्र ग्रंथों को मात्र जीवन के अंतिम चरणों में पढ़ना चाहिए, उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ हमारे जीवन का अभिन्न अंग है जिन्हें जीवन के हर स्तर पर अपनाए जाने की आवश्यकता है। डॉ. एनी बेसेंट के शब्दों में कहें तो "आध्यात्मिक व्यक्ति को संसार त्याग की आवश्यकता नहीं है अपितु सांसारिक कार्यों के बीच भी परमात्मा के साथ एकाकार स्थापित किया जा सकता है, क्योंकि समस्याएँ व बाधाएं हमारे बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर हैं। यही भगवद गीता का मुख्य संदेश है। ”
साध्वी जी ने समझाया, आधुनिक प्रबंधन सिद्धांत और प्रथाएँ, जो कि पश्चिमोत्तर औद्योगिक क्रांति द्वारा विकसित की गई थीं, समय की कसौटी पर विफल रही है और मानव संसाधन प्रबंधन के मापदंडों पर 1997 में किए गए अध्ययन से पता चला कि अधिकांश बड़े और सफल संगठन इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। यद्यपि श्रीमदभगवतगीता के संदेश व ज्ञान मानव के सभी स्तरों व पक्षों पर लागू होते हैं क्योंकि यह ज्ञान का शाश्वत स्रोत और मानवीय विचार के मूल से सम्बन्धित है। समय के पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु की सहायता से ही हम आंतरिक स्तर पर दिव्य चेतना से जुड़कर इन सभी समस्याओं से मुक्त हो सकते है। उन्होंने बताया कि सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान की दीक्षा के समय ईश्वर साक्षात्कार द्वारा असंख्य लोगों को को जागृत कर शांति व आनंद के मार्ग की ओर अग्रसर कर चुके हैं।
इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों और अतिथियों ने विश्व शांति लक्ष्य की सिद्धि हेतु संस्थान के सामाजिक व आध्यात्मिक जागरूकता प्रयासों की भरसक प्रशंसा की।