“लोग किसी वस्तु से नहीं, बल्कि किसी वस्तु के प्रति अपनी अवधारणा से परेशान होते हैं”। - (इपिकेटेटस)
प्रत्येक मानव पर आधुनिक दुनिया में प्रतिदिन बढ़ती मांग प्रवीणता, प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धा आदि द्वारा अद्वितीय दबाव बना रही हैं और यही परिस्थिति दुनिया भर में तनाव के स्तर में वृद्धि कर रही है। 2018 Cigna 360° वेल-बीइंग सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 89% जनसंख्या वैश्विक औसत 86% की तुलना में तनाव से पीड़ित है। तनाव ही कॉर्पोरेट कल्चर का आधार या मूलमंत्र बन गया है। व्यक्तिगत जीवन और कार्यक्षेत्र में असंतोष की भावना कर्मचारियों के बीच चिंता और खिन्नता को बढ़ा देती है। तनाव की समस्या के तार्किक और व्यावहारिक समाधान को प्रदान करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रतिनिधि साध्वी मनेंद्र भारती जी द्वारा 1 मार्च 2019 को अमृतसर के हैवेल्स इंडिया लिमिटेड, पंजाब में “स्ट्रेस मैनेजमेंट” पर एक विचारशील व्याख्यान दिया गया
व्याख्यान का विषय “स्ट्रेस मैनेजमेंट” (तनाव प्रबंधन) आधुनिक कॉर्पोरेट युग में तनाव प्रबंधन हेतु अनेक समाधानों को लिए हुए था। हैवल्स इंडिया लिमिटेड के अमृतसर कॉर्पोरेट कार्यालय के प्रबंधन और कर्मचारियों ने संस्थान द्वारा आयोजित तनाव प्रबंधन के अनेक सत्रों जैसे प्रबंधन खेल व ध्यान और परामर्श सत्रों में उत्सुकता से भाग लिया।
साध्वी जी ने बताया कि तनाव, मानव जैविक तंत्र में न्यूरो-केमिकल, इम्यूनोलॉजिकल और व्यवहार संबंधी परिवर्तनों को बढ़ा देता हैं। विडंबना यह है कि हम अक्सर तनाव के लक्षणों का इलाज करते हैं पर उसके कारण का नहीं। उन्होंने समझाया कि ध्यान प्रक्रिया मूल कारण को समाप्त करती है इसलिए हमें जीवन में ध्यान को अपनाना चाहिए। जैसे ही हम ध्यान करते है तो हमारे भीतर निहित चिंता आदि नकरात्मक भावनाएं समाप्त होने लगती है व सकारात्मक भावनाओं में वृद्धि होने लगती है। हमारी ऊर्जा नकारात्मक विचारों से सकारात्मक विचारों की ओर अग्रसर हो जाती है। भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में दु:खी, तनावग्रस्त अर्जुन को दिव्य ज्ञान के रूप में यही समाधान दिया गया था। संस्थान प्रतिनिधि ने अनेक तर्कों व विश्लेषणों द्वारा इस तथ्य पर प्रकाश डाला। नियमित ध्यान हमें अपनी प्राथमिकताओं को व्यवस्थित करने के लिए आवश्यक ज्ञान और स्पष्टता प्रदान करता है।जीवन के नकारात्मक और तनावपूर्ण अनुभवों का सामना करने के लिए, व्यक्ति को आत्मिक स्तर पर स्थित शक्ति का अनुकरण करना होगा, जो मनुष्य के अंदर ब्रह्मज्ञान की दिव्य तकनीक को प्रगट कर दे। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान युग के ऐसे उदार उपदेशक हैं, जो आत्म-चिन्तन की अलौकिक तकनीक “ब्रह्मज्ञान” द्वारा तनाव और चिंता को समाप्त करने का स्थायी समाधान प्रदान कर रहे है। ब्रह्मज्ञान ही आत्म-मूल्यांकन, मन-नियंत्रण और तनाव प्रबंधन का क्षेष्ठ निर्णायक उपकरण है। जब लोग ध्यान प्रक्रिया द्वारा आत्मिक रूप से जागृत हो जाते है तो वे अपने दृष्टिकोण में स्पष्टता और योग्यता में पूर्णता को प्राप्त कर जीवन में संतुलन स्थापित करते है व साथ ही ब्रह्माण्ड की सकारात्मक ऊर्जा को भी विकसित करने में सहयोग देते हैं।