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6 अप्रैल 2019 को लंदन (यूनाइटेड किंगडम) में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में  दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा एक बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से प्रेरणादायक  कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्थान प्रचारक साध्वी भक्तिप्रिया भारती जी और भाई कबीर जी ने और सत्र के प्रस्तुतकर्ता स्टेम सेल रिसर्च एंड एप्लीकेशन मैनेजर, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय डॉ. दीपक कुमार जी के साथ मिलकर कार्यशाला की रुपरेखा रोचक शैली में निर्मित की। कार्यशाला में विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों के अनेक गणमान्य लोगों ने भाग लिया। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि डॉ. राज अरोड़ा (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में जनरल प्रैक्टिशनर), ईवा सजपर्लोव्स्का (डेलॉइट में सलाहकार), प्रोफेसर ऐल्सन डी मोरास (लंदन विश्वविद्यालय में रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग के रॉयल टोलटे विभाग में वरिष्ठ व्याख्याता) और एजो जैमे हमोय सागरिया (फिलीपींस सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सेना अधिकारी) आदि उपस्थित रहे।

From Chaos to Calm (Series I): A Spiritual Workshop for the Corporates at London, UK

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य केवल मानसिक तनाव के मुद्दे पर चर्चा करना नहीं बल्कि इसके समाधानों को व्यक्त करना रहा। आज यह वैज्ञानिकों ने भी व्यापक रूप से स्वीकार किया है कि वर्तमान पीढ़ी को हर समय मनोवैज्ञानिक तनाव रूपी स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ रहा है। तनाव के दुष्प्रभाव एक व्यक्ति को अनेक रूप से हानि पहुंचा सकते हैं। उदाहरण के लिए तनाव, मेलाटोनिन और सेरोटोनिन नामक दो स्वास्थ्य उत्प्रेरण न्यूरोट्रांसमीटर / हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करता है। मस्तिष्क में मेलाटोनिन हार्मोन का कम उत्पादन नींद की कमी का परिणाम है। दूसरी ओर, सेरोटोनिन हार्मोन का निम्न स्तर अवसाद और चिंता का कारण बनता है। 

डॉक्टर तनाव की समस्या के समाधान के रूप में व्यायाम और पौष्टिक आहार का मार्ग सुझाते हैं। हालांकि इस प्रयास से मिलने वाले लाभों को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, परन्तु इससे भी अधिक शक्तिशाली समाधान- ध्यान का अभ्यास करना है। मेलाटोनिन और सेरोटोनिन दोनों मस्तिष्क में पीनियल ग्रंथि द्वारा संचालित होते हैं। ध्यान इस ग्रंथि को जागृत करने की सबसे सटीक विद्धि है। इस ग्रंथि को अध्यात्म में तीसरी आंख (दिव्य नेत्र) के रूप में स्वीकार किया गया है। परन्तु विचारणीय है कि ध्यान की सही विद्धि मात्र सच्चे आध्यात्मिक गुरु द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। एक आध्यात्मिक सतगुरु ही दिव्यज्ञान (ब्रह्मज्ञान) की प्राचीन तकनीक द्वारा मानव की तीसरी आंख खोलते है। इस तकनीक के साथ, एक व्यक्ति किसी भी समय और किसी भी स्थान पर ध्यान का अभ्यास कर सकता है। ध्यान द्वारा एक सक्रिय पीनियल ग्रंथि उचित स्तर पर हार्मोन का उत्पादन करेगी जिसके परिणामस्वरूप मानसिक तनाव हमेशा के लिए मिट जाएगा। इस प्रकार, प्रत्येक मनुष्य को पूर्ण सतगुरु द्वारा दिव्यज्ञान प्राप्त करना चाहिए। वर्तमान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी एक पूर्ण सतगुरु है, जिनके द्वारा संस्थापित व संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ब्रह्मज्ञान की सनातन पद्धति को प्रदान किया जाता है।

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