अहमदाबाद, गुजरात में 17 जून, 2018 को आयोजित मासिक आध्यात्मिक भंडारे की भक्तों द्वारा कार्यक्रम के बाद फिर से मांग की गई। आध्यात्मिक प्रवचनों को सुनने से न केवल मन को शांति और धैर्य मिलता है बल्कि यह मानव शरीर और मन में पनपने वाली बुराइयों को भी नष्ट कर देते हैं। यह अच्छे विचारों को ग्रहण करने और पवित्र जीवन की ओर अग्रसर होने के लिए मार्ग बनाने में मदद करता है। हमारे ग्रंथों में कहा जाता है कि अनुयायियों को भौतिक संसार में शारीरिक शक्ति और धन प्राप्त करना आसान है हालांकि आध्यात्मिक मार्ग पर चलना कठिन है और इस मार्ग में सफलता एक पूर्ण गुरु के आशीर्वाद पर निर्भर करती है।
साध्वी जी ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को रखते हुए समझाया कि आध्यात्मिकता और आध्यात्मिक रूप से विकसित व्यक्तित्वों की निकटता एक दुर्लभ आशीर्वाद है जिसके लिए देवता भी लालसा करते हैं। केवल इस मानव जन्म में ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर दिव्य प्रकाश का ध्यान सम्भव है। संसार में 84 लाख योनियाँ हैं और सभी योनियों में से केवल मानव ही है जिसे इस वरदान को प्राप्त करने का उपहार दिया गया है। सभी जीवित प्राणी अपने कर्मों के अनुरूप जीवन के बाद शरीर प्राप्त करते हैं। मानव शरीर केवल तब प्राप्त होता है जब कोई अच्छा कर्म करता है क्योंकि यह शुभ विचारों और विवेकाधिकार का उच्च रूप है।
मानव रूप में सभी को स्वतंत्र इच्छा से सशक्त बनाया गया है। मनुष्यों के पास सही और गलत के बीच फैसला करने के लिए विवेक शक्ति प्रदान की गई है। कोई क्रूरता का मार्ग चुन सकता है और बुरे कर्म कर अगले जन्म में निम्न योनि को पा सकता है जबकि कुछ अन्य बहुत ही सामान्य जीवन जीते हुए मौज-मस्ती में विश्वास करते हैं और अपने पूरे जीवन को परम उद्देश्य की अज्ञानता में बिताते हैं। केवल कुछ ही दुर्लभ लोग हैं जो वास्तव में धन्य हैं, जो उस समय के पूर्ण गुरु से दिव्य ज्ञान प्राप्त कर आध्यात्मिक प्रवचनों की कृपा वर्षा में भीग पाते हैं। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि जिस प्रकार पौधों के लिए पानी आवश्यक है ठीक यही समान प्रभाव मानव की आत्मा के लिए आध्यात्मिक प्रवचनों का है।
साध्वी जी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान एक व्यक्ति को सेवा के महत्व से अवगत करवाता है। यद्यपि एक व्यक्ति द्वारा किए सभी कर्मों का उसे फल प्राप्त होता है, वहीं सेवा वह तरीका है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति अपने कर्मों के फल से मुक्त होता है। यह अहसास तभी होता है जब एक व्यक्ति पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान में दीक्षित होता है।
इस कार्यक्रम में कई स्वयंसेवकों ने भक्ति संगीत गाकर अपनी सेवा प्रदान की कुछ स्वयंसेवक अपने स्कूलों और कॉलेजों से कुछ समय निकालकर सेवा करने पहुंचे। मुख्य हॉल के बाहर कई काउंटर थे जहां संस्थान स्वयंसेवकों द्वारा उत्पादित उत्पाद बेचे गए। यह युवा स्वयंसेवकों द्वारा समाज के उत्थान की ओर एक छोटा सा प्रयास साबित हुआ। एक उन्नत व महान समाज तब बनता है जब सभी आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएं विचारों की शुद्धता और ईमानदार दृष्टिकोण के साथ मिलकर काम करते हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित यह समागम समाज की वास्तविक प्रगति का एक ज्वलंत उदाहरण था।