स्वतंत्रता का शाब्दिक अर्थ आत्मनिर्भरता, स्वाधीनता, बाधा- मुक्त अवस्था जैसे अन्य सकारात्मक शब्द होते हैं | यूँ तो भारत को बहुत समय पूर्व ही स्वतंत्रता प्राप्त हो गयी थी, पर वास्तविकता में भारत का एक ऐसा वर्ग भी है जो आज भी स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्षरत है, और उस वर्ग का नाम है ‘महिला वर्ग’ | श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा महिलाओं के खोए हुए गौरव को पुनः स्थापित करने व् उन्हें वास्तविक स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु ‘संतुलन’ नामक लिंग समानता प्रकल्प चलाया जा रहा है | जिसके अंतर्गत स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष ‘लेट्स रिकॉल देयर सैक्रीफाइस” नामक एक संवेदनशील अभियान चलाया जाता है | और इस 73 वे स्वतंत्रता दिवस पर संतुलन द्वारा महिला स्वतंत्रता सेनानियों के भुला दिए गए योगदान को समाज में पुनः उजागर किया |
यह दिवस 15 अगस्त से 25 अगस्त तक विभिन्न जागरूकता पहलों के रूप में संतुलन द्वारा मनाया गया | अभियान के अंतर्गत देशभक्तिपूर्ण यात्राओं का आयोजन किया गया, जिसमें महिला प्रतिभागियों ने झासी की रानी, सरोजिनी नायडू, भीकाजी कामा, मातंगिनी हाज़रा आदि महिला स्वतंत्रता सेनानियों के मुखोटों व हाथों में लिंग आधारित भेदभाव व पूर्वग्रहों से नारी की स्वतन्त्रता के नारों की तख्तियों के साथ भाग लिया |
स्कूलों, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थलों व विभिन्न संस्थानों में भी अभियान के निमित संवेदनशील कार्यशालाओं व कार्यक्रमों का आयोजन किया गया | जिनके माध्यम से महिला स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी गयी और नारी की क्षमता व उपलब्धियों को सबके समक्ष रखा गया | इन कार्यशालाओं में देशभक्ति से ओत प्रोत नृत्य मंचन व रानी लक्ष्मी बाई की निडरकता, शौर्य व शहादत पर आधारित भव्य नाट्य मंचन शामिल रहे | इसके अलावा, महिला शहीदों की बहादुरी व अवस्मरणीय कथाओं पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान और जागरूकता गतिविधियां भी कार्यशाला का भाग रहीं |
इस अभियान का लक्ष्य उन महिला स्वतन्त्रता सेनानी के बलिदान और सरहानिया प्रयासों को समाज के सामने प्रकट करना रहा, जिनहोने सभी बाधाओं का कुशलता से सामना करते हुए देश को अंग्रेजों की कैद से आज़ाद कराया | अभियान द्वारा “संतुलित होना स्वतन्त्रता है” का संदेश दिया गया और महिलाओं को उनकी सहज शक्ति व आत्म मूल्यों से अवगत कराया गया | साथ ही, संस्कृति के नाम पर प्रचलित महिलाओं के खिलाफ मानसिकता व पूर्वग्रहों को जड़ से खत्म करने पर ज़ोर दिया गया | इस अभियान के लाभार्थियों की तेज़ी से बढ़ रही गिनती आने वाले समय के परिवर्तन का संकेत दे रही है |