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जहाँ एक ओर पूरी दुनिया वैज्ञानिकता से रहित कुछ पूर्व अनुमानों पर आधारित ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नए साल को मनाती है, वहीँ दूसरी ओर भारतीय संस्कृति, भारतीय पौराणिक कथाओं और भारत की समृद्ध संस्कृति व वैज्ञानिकता पर आधारित नववर्ष विक्रम संवत या चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को स्वीकार करती है। इस वर्ष 6 अप्रैल को हमारे भारतीय नववर्ष “विक्रम संवत 2076” का शुभारम्भ हो रहा है। भारतीय नववर्ष की तर्कसंगतता और दार्शनिक महत्व के विषय में समाज को जागरूक करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने रविवार 7 अप्रैल, 2019 को दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के भक्त, स्वयंसेवक व संस्थान प्रचारक आदि इस विशाल भक्ति कार्यक्रम में विक्रम संवत के आगमन हेतु एकत्र हुए।

Indian New Year Celebrated with Fervor at Monthly Spiritual Congregation, Divya Dham Ashram, Delhi

श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने विक्रम संवत को भारतीय नववर्ष के रूप में स्वीकारते हुए, इसकी वैज्ञानिक और धार्मिक प्रासंगिकता विषय पर विचारों को प्रस्ततु किया। भारतीय पौराणिक कथाओं और अनेक प्राचीन धर्मग्रंथों में भारतीय नववर्ष के महत्व का वर्णन किया गया है। प्रवचनकर्ता ने बताया कि भारतीय गणना के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की शुरुआत की थी। यह सार्वभौमिक पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यह वह दिन है जब ब्रह्मांड का निर्माण शुरू हुआ था। महाराजा विक्रमादित्य ने इस नववर्ष को शुरू किया ताकि हम अपनी भारतीय तारीखों, महीनों और वर्षों से परिचित रहें। भारतीय कैलेंडर के अनुसार, जिस दिन सृष्टि शुरू हुई थी; उसी दिवस को नए साल के पहले दिन के रूप में स्वीकार किया गया है। इस दिन नवरात्रि की शुरुआत भी होती है और पूरे भारत में माँ जगदम्बा की महिमा का गुणगान किया जाता है।

भक्तिमय भजनों और सुविचारित व्याख्याओं द्वारा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष के रूप में स्वीकार करने के लिए इसमें निहित वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रासंगिकता को भी स्पष्ट किया गया। एक सत्र के अंतर्गत महर्षि अरविंद घोष के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। सत्संग विचारों के माध्यम से बताया गया कि इसी दिन नक्षत्रों से पृथ्वी पर चार प्रकार की तरंगें गिरती हैं। ये सूक्ष्म तरंगें शारीरिक और मानसिक संरचना पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए आध्यात्मिक रूप से हमारे उत्थान हेतु सहयोगी होती हैं।  

Indian New Year Celebrated with Fervor at Monthly Spiritual Congregation, Divya Dham Ashram, Delhi

विचारों के माध्यम से इस तथ्य पर ज़ोर दिया गया कि हमें गर्व से विक्रम संवत को अपने नए साल के रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि यह केवल अनुमानों पर आधारित नहीं है बल्कि आध्यात्मिक और तार्किक रूप से निर्मित है। साथ ही उपस्थित भक्तों ने वर्तमान के पूर्ण सतगुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य चरणों में भक्ति, नि:स्वार्थ-सेवा, ध्यान और नित्य समर्पण की भावना और उत्साह को बढ़ाने का संकल्प लिया। हमें शाश्वत मार्ग पर बढ़ते हुए व ब्रह्मज्ञान की ध्यान पद्धति का अभ्यास करते हुए भारतीय नववर्ष की नवीनता और दिव्यता का सच्चा प्रतिबिंब बनाना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को विचार ने प्रभावित किया व उन्होंने भारतीय नववर्ष को अपनाने का प्रण लिया।

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