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“वर्तमान में जीना चाहिए” आज स्वस्थ जीवन जीने हेतु यही प्राथमिक मंत्र बन गया है। हालाँकि, आज का परिवेश देखे तो इसका अर्थ यही देखने को मिलता है कि दिन भर तस्वीरें लेना और उन्हें सोशल मीडिया वेबसाइटों पर पोस्ट कर देना। लोग आज अपने समय के अधिकांश भाग को यथार्थवादी धारणा से रहित जी रहे है। लोगों में तनाव, अवसाद और आत्महत्या के प्रयासों के बढ़ते स्तर से यह प्रमाणित होता है। आज सही दिशा में किए गए प्रयास ही इन समस्याओं का निदान प्रदान कर सकते हैं। इस प्रयोजन हेतु आंतरिक ज्ञान की आवश्कता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति सदैव विवेक बुद्धि से जुड़ा रहता है। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ओमप्रभा भारती जी ने वक्ता के रूप में 9 अप्रैल 2019 को बाहरा विश्वविद्यालय, वाकनाघाट, शिमला (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित जीवन प्रबंधन पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत किया।

Lecture on Life Management Stressed upon Self Realization at Bahra University, Himachal Pradesh

साध्वी जी ने कहा कि हम सभी में ज्ञान का स्थायी स्रोत निहित है, लेकिन जब तक वह सक्रिय नहीं हो जाता, तब तक व्यक्ति उससे लाभान्वित नहीं हो सकता है। यह तथ्य किसी कल्पना पर आधारित नहीं है, बल्कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों द्वारा प्रमाणित है। भारतीय ग्रंथों में निहित ऋषियों के उदाहरण इस तथ्य को स्पष्टता से प्रगट करते हैं कि आंतरिक ज्ञान द्वारा विकट परस्थितियों में भी जीवन में शांति सम्भव है। ब्रह्मज्ञान (दिव्य ज्ञान) की प्राचीन भारतीय पद्धति द्वारा ऋषि ऐसा करने में सक्षम थे। सतगुरु द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ऋषियों का दिव्य नेत्र जागृत था। गुरु कृपा द्वारा प्राचीन तपस्वी हर क्षण उस महान सार्वभौमिक चेतना से जुड़ने में सक्षम थे। आज की भी उस दिव्य चेतना से जुड़ना संभव है।

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी, वर्तमान के पूर्ण सतगुरु है, जिन्होंने आज भी इस महान परंपरा की पवित्रता को बनाए रखा है। उनकी अनुपम कृपा से असंख्य लोगों ने अपने भीतर परमात्मा का दर्शन किया है। ईश्वरीय ज्ञान मात्र सन्यासियों के लिए नहीं अपितु गृहस्थी लोगों के लिए भी अनिवार्य है। ईश्वर से एकाकार होकर मानव का जीवन विकास की ओर अग्रसर हो जाता है।  संस्थान का प्रत्येक सदस्य ब्रह्मज्ञान के मार्ग पर बढ़ता हुआ आंतरिक परिवर्तन का एक सशक्त उदाहरण है। ब्रह्मज्ञान द्वारा ही विश्व शांति लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव है। आध्यात्मिक ज्ञान से प्रकाशित व आत्मिक रूप से जागृत मानव ही अपने परम लक्ष्य की ओर बढ़ता हुआ मानव जाति के कल्याण व विकास में सहयोग दे सकता है। अंत में साध्वी जी ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि हर किसी को अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास की ओर बढ़ना चाहिए और इस उद्देश्य हेतु एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु की खोज करनी चाहिए। आत्म-साक्षात्कार हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वार सभी के लिए खुले हैं।

Lecture on Life Management Stressed upon Self Realization at Bahra University, Himachal Pradesh

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