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अध्यात्म की वास्तविकता से समाज को परिचित करवाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 18 जनवरी से 24 जनवरी, 2019 तक कुंभ, प्रयागराज में श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया। कार्यक्रम का डी-लाइव प्रसारण 20 जनवरी से 26 जनवरी, 2019 तक सत्संग चैनल पर दिखाया गया था। विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा भी कथा को कवर किया। कई बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध लोगों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। भक्ति और प्रेरक भजनों की मधुर श्रृंखला ने लोगों को आनंदित करते हुए, अध्यात्म की ओर बढ़ने हेतु सहयोग किया।

Shri Krishna Katha Unfurled the Prized Treasures of Lord Krishna's Life at Kumbh, Prayagraj 2019

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने कथा का वाचन करते हुए बताया कि तीर्थ प्रयागराज का गहन आध्यात्मिक महत्व है, जिसके माध्यम से मानव आत्मा-शुद्धि और मोक्ष की ओर अग्रसर हो पाता है।

साध्वी जी ने विचारों के द्वारा स्पष्ट किया कि जब-जब संसार में अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब प्रभु विभिन्न अवतारों को स्वीकार कर धर्म की संस्थापना करते हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अवतारों के बारे में भी बताया। प्रभु की लीला आध्यात्मिक रहस्यों से ओतप्रोत होती है, जिसे मात्र मानवीय बुद्धि व मन द्वारा जाना नहीं जा सकता। उनके जीवन की प्रत्येक दिव्य लीला, मानव जाति को वास्तविक प्रेम और भक्ति के विषय में समझाते हुए, उनका मार्गदर्शन करती है। भगवान युगों से आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा लोगों को प्रेरणा देते रहे हैं। नंद जी ने यमुना नदी पार करते समय भगवान कृष्ण को एक टोकरी में अपने सिर के ऊपर रखा और वे सब बन्धनों से मुक्त हो गए। इसी तरह, जो भी मानव अपने जीवन में ईश्वर को प्रथम स्थान पर रखता है, भगवान उसके लिए आध्यात्मिक ज्ञान के द्वार खोल देते हैं, जिससे वह जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र को तोड़ने में सक्षम हो पाता है।

Shri Krishna Katha Unfurled the Prized Treasures of Lord Krishna's Life at Kumbh, Prayagraj 2019

ईश्वर युगों से आध्यात्मिक ज्ञान के विषय में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। सभी धर्मग्रंथ इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि भगवान मानव के हृदय गुफा में निवास करते हैं। हमारी बाहरिय नेत्रों की दृष्टि सीमित है। इसलिए मात्र उनके आधार पर हम ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार नहीं कर सकते। संसार में भिन्न माध्यम द्वारा हर वस्तु को देखा जा सकता है। जिस प्रकार सूक्ष्मजीव को मात्र सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है, उसी तरह हृदय में विराजमान "ईश्वर" को देखने के लिए "ब्रह्मज्ञान" की दिव्य पद्धति की आवश्यकता है। जिस समय पूर्ण सतगुरु, शिष्य के अंतर्घट में ब्रह्मज्ञान द्वारा दिव्य नेत्र को जागृत करते है, उसी समय वह अपने भीतर ईश्वर के दर्शन करने में सक्षम हो जाता है। वर्तमान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान की शाश्वत पद्धति द्वारा विश्व भर में परिवर्तनकारी लहर पैदा कर रहे हैं।

ब्रह्मज्ञान के महान संदेश को प्रसारित करते हुए, कथा ने अपने दिव्य उद्देश्य को पूर्ण किया। श्रद्धालुओं ने जीवन के परम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपने क़दमों को बढ़ाया।

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