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किसी भी देश, समाज व सभ्यता के विकास का उत्तरदायित्व एक शिक्षक के कंधों पर सबसे अधिक होता है। शिक्षक ही अपने उत्कृष्ट आचरण से विद्यार्थियों में उदात्त मनोवृत्ति का बीजारोपण कर सकता है जो भविष्य में सभी के लिए फलदायी सिद्ध होता है। वस्तुतः  यही शिक्षा का उद्देश्य भी  है । शिक्षकों के इस उत्तरदायित्व को समझते हुए मंथन-संपूर्ण विकास केन्द्र द्वारा अध्यापकों  के लिए समय-समय पर शिक्षक ग्रूमिंग वर्कशाप का आयोजन किया जाता है। इन वर्कशाप का मुख्य उद्देश्य अध्यापकों को अधिक जागरुक, चिंतनशील और उत्तरदायित्वपूर्ण  बनाना है जिससे कि उनमें सक्रिय विचार क्रांति का प्रवाह सतत चलता रहे। इसी श्रंखला में 30 जनवरी 2021  को एक शिक्षक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका विषय रहा- “Creating Success On Demand”

Manthan SVK organised Virtual Teachers’ Grooming Workshop – “Creating Success on Demand”

मंथन -संपूर्ण विकास केन्द्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो देश के अभावग्रस्त बच्चों को निःशुल्क और मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनके मानसिक,सामाजिक , आध्यात्मिक एवं शारीरिक विकास हेतु प्रयास रत है।

इस सत्र में अभिप्रेरक की भूमिका डा.दिनेश जोशी जी ने निभायी । उन्होनें विविध PPT द्वारा सफलता के सूत्रों को सभी के समक्ष प्रकट किया। उन्होंने बताया कि किसी भी कार्य की सिद्धि  के लिए इरादा , प्रेरणा व उद्देश्य अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। साथ ही उन्होनें  उदाहरणों के माध्यम से भी समझाया  कि जैसे मानव मस्तिष्क में अनेक तंत्र होते हैं जिनकी सहायता से हमारे विभिन्न संवेदी इन्द्रियां बाह्य वातावरण से अनेक सूचनाएं संग्रहीत करती हैं परन्तु मस्तिष्क इसका पृथकीकरण कर आवश्यक सूचनाओं को ही क्रियान्वन के लिए इन्द्रियों को प्रेरित करता है , ठीक उसी प्रकार से हमें भी सामान्यीकरण, पृथकीकरण तथा विलोपन का अभ्यास ही सफलता की ओर अग्रसर कर सकति है। इसके अतिरिक्त  भी उन्होनें अपने जीवन के अनुभवों द्वारा सफलता के अन्य गूढ सूत्रों को भी  सहजता से सभी के समक्ष रखा। कुल मिलाकर यह सत्र अत्यंत ही ज्ञानवर्धक रहा। इस सत्र में लगभग 50 लोग लाभान्वित हुए।

Manthan SVK organised Virtual Teachers’ Grooming Workshop – “Creating Success on Demand”

कार्यशाला के अंत में मंथन-संपूर्ण विकास केन्द्र प्रकल्प की संचालिका साध्वी दीपा भारती जी ने डा. दिनेश जोशी जी को उनके महत्वपूर्ण मार्गदर्शन  तथा समय के लिए आभार प्रकट किया और शिक्षक ऐसे श्रेष्ठ विचारों से विद्यार्थियों को लाभान्वित कर पायें इसी कामना के साथ सत्र को विराम दिया गया।

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