कुछ वर्षों पूर्व तक शिक्षा का मतलब केवल किताबें रटकर परीक्षा में अच्छे अंक लाने तक ही सीमित था किन्तु आज तकनीकी विकास के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हुआ है I सैद्धांतिक शिक्षा से कहीं अधिक व्यवहारिक शिक्षा पर ज़ोर दिया जा रहा है I और विज्ञान के क्षेत्र में जिस तरह अविश्वसनीय प्रगति हुई है उससे छात्रों में भी विज्ञान के प्रति रुचि कहीं अधिक बढ़ गयी है I बच्चों के कौशल विकास में वृद्धि लाने के लिए जरूरी है कि बच्चों को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाए I देश में वैज्ञानिक साक्षरता को विस्तृत करने, छात्रों को वैज्ञानिक अनुभव देने एवं जिज्ञासु छात्रों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मंथन ने दिसंबर माह में दिल्ली स्थित “राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र” यात्रा का आयोजन किया I जिसमे मंथन की दिल्ली स्थित शाखाओं पटेल नगर, बादली, द्वारका और फरीदाबाद के छात्रों के लिए “राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र” यात्रा का आयोजन किया गया I
विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र सबसे सृजनात्मक जगह है I इस यात्रा से बच्चे विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली हर तकनीकी प्रगति के बारे में जागरूक हुए एवं विभिन्न उपकरणों व तकनीकों से उन्होंने विज्ञान, भूगोल और मानव-विकास से जुड़े कई तथ्य सीखे I बच्चों ने हेरिटेज और डायनासौर गैलरी, मानव जीव-विज्ञान गैलरी, फन-साइंस गैलरी और 3D show, Comunication saga, Science on Sphere आदि का भ्रमण किया जिसमें उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय विरासत का वर्षों का इतिहास जाना कि किस तरह से समय के साथ, कला और साहित्य को लेकर चलते हुए भारतीय मिट्टी पर एक बहुत ही समृद्ध वैज्ञानिक और तकनीकी संस्कृति का विकास हुआ I साथ ही प्रौद्योगिकी और संस्कृति के बीच के संबंधों का अनुभव भी बच्चों ने किया I इसके अलावा सेंटर में विशालकाय बिच्छु, प्रारंभिक पक्षियों, विशाल डायनासौर और हिम-युग तक जीवित विभिन्न प्रजातियों और उनके अनुरूप कृत्रिम वातावरण को विशेष प्रकाश एवं ध्वनि के साथ प्रस्तुत किया गया जिसे देख बच्चे प्रभावित एवं प्रोत्साहित हुए I यह यात्रा जिज्ञासु छात्रों को नये पंख दे उन्हें अपनी खोज को शुरू करने में एक महत्वपूर्ण योगदान करने वाली साबित हुई I