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5 सितंबर 2025 को, मंथन–संपूर्ण विकास केंद्र (SVK)दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (DJJS) के सामाजिक प्रकल्प — ने दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में शिक्षक दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया। यह कार्यक्रम भारतवर्ष में मंथन–SVK आंदोलन की आधारशिला बने शिक्षकों के अडिग समर्पण और परिवर्तनकारी योगदान को समर्पित था।

Manthan–SVK Hosts Grand Teachers’ Day Celebration at Divya Dham Ashram, Delhi — Saluting Our Educational Superheroes

इस आयोजन में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से आए मंथन–SVK विद्यालयों के लगभग 100 शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य दृष्टि से प्रेरित इन शिक्षकों ने वंचित बच्चों को शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के माध्यम से सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कार्यक्रम का शुभारंभ दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की आरती से हुआ, जिससे सम्पूर्ण वातावरण में श्रद्धा और शांति का संचार हुआ। इसके पश्चात मंथन–SVK के पूर्व छात्रों द्वारा एक श्रद्धा-सुमन अर्पित की गई, जिसमें उन्होंने श्री महाराज जी को परम शिक्षक और शाश्वत मार्गदर्शक के रूप में नमन किया। यह भेट उनके जीवन में पूज्य गुरुदेव की दूरदर्शी शिक्षा के गहरे प्रभाव को दर्शाती हैं।

Manthan–SVK Hosts Grand Teachers’ Day Celebration at Divya Dham Ashram, Delhi — Saluting Our Educational Superheroes

अनुभवात्मक शिक्षण गतिविधियों में “Maze Activity” विशेष रूप से प्रभावशाली रही, जिसमें जीवन की वास्तविक चुनौतियों को रूपक के रूप में प्रस्तुत किया गया और यह दर्शाया गया कि किस प्रकार शिक्षक बच्चों को धैर्य, विवेक और सहानुभूति के साथ मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इसके पश्चात “Jail Activity” आयोजित की गई, जिसमें छात्रों को अज्ञानता और अशिक्षा की जेल में बंद दर्शाया। इसका मुख्य संदेश था कि केवल चार प्रतीकात्मक चाबियों — शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक उत्थान के माध्यम से ही एक छात्र अज्ञानता और अशिक्षा की कैद से बाहर आ सकता है। इस गतिविधि ने बच्चों की क्षमता को खोलने में शिक्षकों की निर्णायक भूमिका को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया।

इसके पश्चात मंथन–SVK के छात्र-छात्राओं ने मंच पर प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें एक हृदयस्पर्शी गुरु वंदना और विविध सांस्कृतिक नृत्य शामिल थे। इन भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने न केवल शिक्षकों के प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता को अभिव्यक्त किया, बल्कि मंथन–SVK द्वारा विद्यार्थियों में रोपित मूल्यों की सजीव झलक भी प्रस्तुत की।

इस आयोजन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी पैनल चर्चा — “मंथन की बात – शिक्षकों के साथ”, जो एक गंभीर, संवादात्मक सत्र रहा। इस मंच के माध्यम से शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए, शिक्षण संबंधी अंतर्दृष्टियाँ प्रस्तुत कीं और मंथन–SVK में मूल्यनिष्ठ शिक्षा के भविष्य को लेकर सार्थक विमर्श किया।

इसके उपरांत, प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें शिक्षकों को उनकी निःस्वार्थ सेवा और अटूट प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किया गया। संपूर्ण वातावरण गौरव, आत्मीयता और भावनात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत था।

इस अवसर पर ‘दान उत्सव’ की शुरुआत भी की गई, जिसकी प्रथम योगदान राशि स्वयं शिक्षकों द्वारा दी गई। यह न केवल उनकी शिक्षकीय भूमिका को दर्शाता है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन के संवाहक के रूप में उनके उत्तरदायित्व को भी उजागर करता है।

कार्यक्रम का सबसे भावपूर्ण क्षण तब आया, जब मंथन–SVK के पूर्व छात्रों ने एक संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट किया। साथ ही कुछ पूर्व मंथन छात्र, जो आज विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक स्थापित हैं, उन्होंने अपने जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आज जो कुछ भी वे हैं, उसका श्रेय मंथन–SVK में प्राप्त मूल्यनिष्ठ शिक्षा और संस्कारों को जाता है। उनके अनुभव इस पहल की दीर्घकालिक प्रभावशीलता के जीवंत प्रमाण बने।

समारोह का समापन समूह चित्र और सामूहिक प्रार्थना के साथ हुआ, जिसने उपस्थित सभी जनों में एकता, प्रेरणा और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। शिक्षक एक नवप्रेरणा और समर्पण के साथ लौटे, भावी पीढ़ी के निर्माण हेतु अपने संकल्प को और अधिक दृढ़ करते हुए।

जैसे ही समारोह का समापन हुआ, परम पूज्य श्री आशुतोष महाराज जी का दृष्टिकोण एक बार फिर गूंज उठा - कि सच्चा राष्ट्र निर्माण मूल्यों, अनुशासन और भक्ति में निहित शिक्षा के माध्यम से बाल हृदयों के पोषण से ही प्रारंभ होता है

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