मानव जीवन के वास्तविक लक्ष्य को बताने व उसे प्राप्त करने की विधि को उजागर करने हेतु, श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 8 अक्तूबर 2022 को जालंधर, पंजाब में माता की चौकी का आयोजन किया। कार्यक्रम प्रवक्ता, साध्वी मंगलावती भारती जी ने समझाया कि मनुष्य का सच्चा सामर्थ्य दूसरों को नियंत्रित करने में नहीं अपितु स्वयं के मन को संयमित करने में है।
साध्वी जी ने समझाया कि माता का प्रत्येक रूप दैवी शक्ति का प्रतीक है, जो हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा ब्रह्मांड का स्रोत है और प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है। परन्तु, यदि आज हम इसे बाह्य शक्ति के रूप में समझने की भूल कर बैठते हैं, तो इसका कारण है हमारी आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति अनभिज्ञता; वह ज्ञान जिसे शास्त्रों में सर्वोच्च कहा गया है। इस ज्ञान को प्राचीन भारतीय संस्कृति में ‘ब्रह्मज्ञान’ से संबोधित किया गया।
ब्रह्मज्ञान मनुष्य के अंतर-हृदय में ईश्वर साक्षात्कार प्रदान कर उसके विवेक को जागृत करता है। तदुपरांत मनुष्य अपने प्रत्येक कार्य को सकारात्मक भाव में निहित कर विश्व को शांति की ओर अग्रसर करता है। ब्रह्मज्ञान आंतरिक व बाह्य जगत को संतुलित कर एक सामंजस्यपूर्ण संरचना का निर्माण करता है। ऐसी संरचना वर्तमान समय की मांग है और ब्रह्मज्ञान द्वारा ही प्राप्य है।
क्या आज ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है? साध्वी जी ने सकारात्मक उत्तर देते हुए समझाया कि पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु के माध्यम से इसे पाया जा सकता है। परन्तु केवल वही पूर्ण सतगुरु सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं जिन्होंने स्वयं आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त किया हो। तब उनका मार्गदर्शन साधक के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हो पाता है। केवल पूर्ण सतगुरु ही साधक के जीवन में इस संतुलन को स्थापित करने में सक्षम होते हैं।
कार्यक्रम के अंत में साध्वी जी ने उपस्थित सभी श्रोताओं को अविलंब अपनी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करने हेतु एक पूर्ण सतगुरु की शरण प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। श्री आशुतोष महाराज जी की अनुकंपा से डीजेजेएस के द्वार सत्य-पथ के जिज्ञासुओं के लिए सदा खुले रहे हैं। मार्मिक प्रेरणाएं व आध्यात्मिक आनंद प्रदान करने के लिए उपस्थित श्रोताओं ने डीजेजेएस के प्रयासों की सराहना की।