मां दुर्गा दिव्य ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति का अवतार हैं। वैदिक मंत्रों में, देवी माँ को शक्ति का प्रमुख स्रोत्र स्वीकार किया गया हैं। माँ न केवल बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसे संसार में सर्वोच्च मार्ग दिखाने के लिए उसका पालन पोषण करती हुई उसकी सबसे प्रभावी शिक्षक बन जाती है। माँ शक्ति के अभाव में मानव शव समान हैं।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने पंजाब के सन्नौर और पटियाला में 5 जनवरी और 6 जनवरी, 2019 को माता की चौकी का आयोजन किया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मंगलावती भारती जी इस आयोजन में आध्यात्मिक प्रवचनों को रखा। उन्होंने भक्तों के समक्ष नए दिव्य युग की मानसिक तस्वीर को साँझा किया।
कार्यक्रम की शुरुआत देवी के श्री चरणों में पवित्र प्रार्थना से हुई। भक्तिमय भजनों और प्रेरणादायक भेंटों की श्रृंखला ने लोगों को जीवन में एक उच्च लक्ष्य की बढ़ने में सहयोग किया। संगीत पूरी तरह से शाश्वत दिव्य लय के साथ तालमेल बिठाता दिखा, जिसने दर्शकों के विचारों को श्रेष्ठ मार्ग देते हुए, जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य की ओर निर्देशित किया।
साध्वी जी ने अपने विचारों में समझाया कि मानव को जीवन के कठिन दौर में माँ शक्ति के आशीर्वाद की आवश्यकता होती है। माँ के दरबार में कोई जाति या वर्ग का भेदभाव नहीं है। वेदों के अनुसार, माँ दुर्गा के नौ रूप हैं- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। साध्वी जी ने माँ के विभिन्न रूपों की व्याख्या करते हुए मानव जीवन में उनकी भूमिका पर विचारों को रखा। साध्वी जी ने समझाया कि आज समाज भारतीय रीतियों के वास्तविक अर्थ से अनभिज्ञ हो मात्र सांकेतिक कर्मकाण्ड तक सिमित हो गया है।
साध्वी जी ने एक दिव्य युग की परिकल्पना को साँझा करते हुए कहा कि इसी मार्ग द्वारा सभी समस्याओं का समाधान सम्भव है व इसके लिए स्वयं को जानना होगा। इस धरा पर स्वर्ग को साकार करने के लिए सभी को अपना आध्यात्मिक योगदान देना होगा। ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित निरंतर ध्यान द्वारा ही यह संभव हो सकता है।
साध्वी जी ने शब्दों और प्रेरणाओं के साथ, दर्शकों को एक नए दिव्य युग की ओर कदम बढ़ाने हेतु प्रेरित किया और आयोजकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
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