परिवारों में कई भूमिकाएँ निभाते हुए महिलाओं ने पहले ही अपनी योग्यता सिद्ध कर दी है, लेकिन फिर भी सामाजिक और आर्थिक मोर्चो से उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ हैं और दुनिया के कई हिस्सों में वो अब भी दयनीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं l भारत समृद्ध विरासत, परंपरा और संस्कृति वाला देश होने के बावजूद भी यहाँ महिला को समाज में पुरुषों के समान नहीं माना जाता हैं l यहाँ महिलाओं को घर की लक्ष्मी माना जाता हैं, लेकिन पर्दे के पीछे उनका शोषण किया जा रहा हैं l महिलाओं को कमजोर नहीं अपितु सशक्त होने की जरुरत हैं l श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने महिलाओं को ब्रह्मज्ञान के दिव्य ज्ञान से आलोकित कर इस दिशा में सक्रिय कदम उठाये हैं l
12 अक्टूबर 2019 को संस्थान द्वारा सुल्तानपुर लोधी, पंजाब में माता की चौकी का आयोजन किया गया l दिव्य भजनों ने वातावरण में भक्ति, दिव्यता एवं सकारात्मक ऊर्जा को भर दिया l भजन दिव्यता की भावना को जाग्रत करने और भक्तों के ह्रदय में पवित्रता बढ़ाने का एक तरीका हैं l ये अक्सर मन को शांत बनाए रखते हैं l गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी भावअर्चना भारती जी ने बड़े ही शानदार ढंग से आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया जो इस देश की प्राचीन विरासत का एक अंतर्निहित हिस्सा है l संस्कृत में दुर्गा का शाब्दिक अर्थ होता है 'किला' l उन्हें 'दुर्गतिनाशिनी' के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि वह जो इस संसार में लोगों के दुःख और दर्द को खत्म करने के लिए जन्म लेती हैं l माँ दुर्गा को एक योद्धा महिला के रूप में दर्शाया गया है, जिसमें वे एक शेर या बाघ पर सवार हैं और अपने हाथों में कई शस्त्र लिए हुए हैं l देवी का यह रूप नारी और सृजनात्मक शक्ति के रूप में प्रकट होता है l 'शक्ति' शब्द माँ के वीर पक्ष को प्रतिबिंबित करता है, जो एक पारम्परिक पुरुष भूमिका का प्रतीक है l माँ दुर्गा ने दानव महिषासुर की शक्तियों को नष्ट करने के लिए शक्ति के रूप में जन्म लिया, जो पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली दानव बन गए थे l महिषासुर को यह वरदान था कि कोई भी पुरुष देवता उसकी शक्तियों को नष्ट नहीं कर सकता और न ही उसका वध कर सकता हैं, इसलिए माँ दुर्गा को उसका अंत करने के लिए अवतार लेना पड़ा l वह धन, सौंदर्य और ज्ञान की माँ हैं l वह पवित्रता, ज्ञान, सत्य और आत्मानुभूति का प्रतिरूप हैं l
किसी ने सही कहा है कि "कोई भी महिला जो घर चलने की समस्याओं को समझती हैं, वह देश चलाने की समस्याओं को समझने के करीब होगी"l अज्ञानता के अंधकार से निकलने के लिए, उन्हें जाग्रति की आवश्यकता है और यह जाग्रति संभव है मात्र इश्वरीय ज्ञान- 'ब्रह्मज्ञान' के माध्यम से जो एक शाश्वत तकनीक है जिसके माध्यम से व्यक्ति व्यावहारिक रूप से ईश्वर का अनुभव कर सकता है l ध्यान करने से नकारात्मक भावनाओं में कमी आती है और आत्म-करुणा और मन में शांति की वृद्धि होती है l अतः अपने अन्तः करण और मन से जुड़कर वह सारी दुनिया को आलोकित कर सकती है l ब्रह्मज्ञान के बारे में जागरूकता लाने के उददेश्य से आयोजित माता की चौकी कार्यक्रम का आयोजन सफल रहा l