12 मार्च को DJJS के पंजाब स्थित नूरमहल आश्रम में मासिक सत्संग भंडारा कार्यक्रम किया गया| ब्रह्मज्ञानी वेद-पाठियों द्वारा दिव्य मंत्रोचारण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई| दिव्य भजन प्रवाह और सत्संग विचारों से आध्यात्मिक तरंगों का चारों ओर प्रसार किया गया| स्वामी आदित्यानंद जी व स्वामी ज्ञानेशानंद जी ने अपने ओजस्वी विचारों में होली के पर्व का महत्व बतलाया| उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भक्त प्रहलाद ने परम सत्य ईश्वर के लिए अपने ही पिता से संघर्ष किया| लेकिन कभी भी सत्य का त्याग नहीं किया| मीरा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सत्य की एक प्रचण्ड आंधी बनकर उभरी लेकिन कोई भी परिस्थिति उसे कभी डिगा न पाई| ऐसे ही सत्य पथ के अनुगामी भी सत्य के मार्ग पर सदा डटे ही रहते हैं| विकट परिस्थितियाँ भक्त की परख करने आती है पर अपने अडिग विश्वास और दृढ़ता के बल पर वह हर परिस्थिति में निखरकर व जीत हासिल कर ही बाहर निकलता है| उन्होंने आगे कहा कि गुरु-शिष्य संबंध में भी इसी दृढ़ विश्वास की ज़रूरत होती है| साधना, सुमिरन, सेवा और सत्संग इन चारों आज्ञाओं पर दृढ़ता से चलने वाला साधक सत्य पथ से कभी विचलित नहीं होता| होली पर्व के महत्व को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि होलिका दहन जहाँ कुरीतियों के नाश का प्रतीक है तो वहीं रंगोत्सव- ‘होली’ शाश्वत प्रेम व भक्ति के रंगों में सराबोर हो जाने का संदेश लेकर आता है| कार्यक्रम में बड़ी तादात में उपस्थित गुरु भक्त इन विचारों से सहमत व गुरु भक्ति में डूबे नजर आए| सभी ने कटिबद्ध हो सत्य मार्ग पर चलने का संकल्प भी धारण किया| कई गणमान्य अतिथि भी कार्यक्रम में प्रस्तुत हुए| होली के पावन पर्व पर सामूहिक ध्यान कर भक्तों ने विश्व में प्रेम, सौहाद्र, एकता व भाईचारे की मंगल कामना भी की| सामूहिक भोज से भी भाईचारे का प्रसार हुआ| अंत में, उपस्थित सभी भक्त आनंदित व उत्साहित नजर आए।
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