जिस प्रकार एक जंग लगी मशीन के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए उसमें तेल लगाने की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार मानव हृदय के सुचारु रूप से सञ्चालन हेतु उसे आध्यात्म रुपी अमृत से पोषित करना चाहिए। भक्त श्रद्धालुगणों को आध्यात्म की इन्हीं फुहारों से पोषित करने के उद्देश्य से 3 मार्च 2019 को पंजाब के डबवाली मलको की (डीएमके) में मासिक सत्संग समागम का आयोजन किया गया। प्रतिमाह आयोजित किये जाने वाले यह कार्यक्रम गुरु का प्रसाद हुआ करते हैं जो कि भक्त श्रद्धालुगणों के भीतर एक नए उत्साह का संचार करते हैँ।
आतंरिक क्रांति द्वारा ही मानव ह्रदय का रूपांतरण किया जा सकता है जिससे संसार में व्याप्त बुराइयों का अंत संभव है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने आंतरिक क्रांति की इसी धधकती ज्वाला से आत्म विनाश की ओर अग्रसर अनेकोंनेक लोगों के जीवन को एक नयी दिशा प्रदान की है। सत्संग विचार व्यक्ति का, ना केवल आध्यात्मिक, अपितु व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक रूप से भी उत्थान करते हैं। वर्तमान समय प्रत्येक शिष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय है। इस समय यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने गुरुदेव द्वारा दिए गए निर्देशों एवं आज्ञाओं का पूर्णरूपेण पालन करें ताकि एक स्वर्णिम युग की स्थापना का गुरुदेव का लक्ष्य साकार हो पाए। सत्संग कार्यक्रम में बताया गया कि अतीत इतिहास, एवं भविष्य रहस्य हुआ करता है, केवल वर्तमान ही हमारे लिए वह सुनहरा अवसर होता है जिसमें हम अपना निर्माण कर सकते हैं। जो शिष्य अपने सतगुरु की आज्ञाओं को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ते हैं उनका भविष्य निःसंदेह ही स्वर्णिम होता है।
अपने दैनिक जीवन को जीते हुए, हमारा मन चेतना के निचले स्तरों की ओर अग्रसर हो जाता है और तब सत्संग विचारों के माध्यम से हम पुनः अपनी ऊर्जा को ऊपर की ओर संचारित कर पाते हैं। गुरु करुणा के सागर हुआ करते हैं। वह सदैव शिष्य को अपना दिव्य संरक्षण प्रदान करते है। एक गुरु के सानिध्य में शिष्य जटिल से जटिल परिस्थिति से भी आसानी से उबर जाता है।
गुरुदर्शन को प्यासे नयन, भावों से ओतप्रोत भजनों को सुन बरबस ही छलक पड़े। नियमित रूप से होने वाले यह कार्यक्रम, शिष्य के भीतर के विश्वास को और अधिक गहरा करते हुए उन्हें भक्ति पथ पर बढ़ने के लिए अग्रसर करते हैं।