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मानव को आंतरिक शक्ति व स्रोत्र से जोड़ने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में 9 दिसम्बर 2018 को मासिक आध्यात्मिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया जो आध्यात्मिकता जिज्ञासा सम्बन्धी पिपासा को शांत करने हेतु उत्सुक थे। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारकों ने अपने अमूल्य दिव्य अनुभवों को साझा करते हुए उपस्थित साधकों को गुरु के आदर्शों व जीवन के प्रमुख उद्देश्य के प्रति निर्देशित किया।

प्रचारकों ने वर्णन किया कि जो शिष्य अपने आध्यात्मिक गुरु के निर्देशों का पालन करते हुए भक्ति के मार्ग पर निरंतर चलता है, वह निश्चित रूप से अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करेगा। शारीरिक नेत्रों का केवल बंद होना ध्यान नहीं है। ध्यान की प्रक्रिया तो दिव्य नेत्र के खुलने पर आरम्भ होती है। ध्यान न तो कुछ योगासन, श्वास का अभ्यास, न ही यह केवल आंखें बंद करके कल्पना और चिंतन करना है, न ही इसका मतलब किसी बाहरी वस्तु की ओर देखना है और न ही सीमित बुद्धि के माध्यम से गहन विश्लेषण करना है।

जब एक जिज्ञासु, पूर्ण सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान में दीक्षित होता है  तो उसकी तीसरी आँख (भौहों के बीच माथे पर स्थित सूक्ष्म शक्ति केंद्र) खुल जाती है और वह अंदर अद्भुत दिव्य प्रकाश देखता है। इस प्रकार, ध्यान की प्रक्रिया शुरू होती है। यही वह प्रक्रिया है जो हर समय आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा अपनाई जाती है।

वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध अध्ययन और न्यूरोसाइंस जर्नल (अप्रैल 2011) में प्रकाशित, शोधकर्ताओं ने दर्द धारणा पर ध्यान के प्रभाव का पता लगाया। अध्ययन में विषयों द्वारा बताई गई दर्द की तीव्रता और अप्रियता पर ध्यान के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया। दार्शनिक-विचारक मार्कस ऑरेलियस ने कहा कि “कोई भी बाहरी दर्द जो आपको व्यथित करता है, वह आपके अपने अनुमान के कारण अधिक है, और आपके पास किसी भी क्षण इसे रद्द करने की शक्ति है।"

अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करते हुए, 'ब्रह्मज्ञान' की ध्यान तकनीक का अभ्यास करके असंख्य लाभों को पुनः प्राप्त करें। ध्यान न केवल किसी व्यक्ति को घृणा और ईर्ष्या जैसे दोषों को छोड़ने में मदद करता है, बल्कि सद्गुणों की वृद्धि में सहयोग करता है। ब्रह्मज्ञान पर आधारित नियमित ध्यान के माध्यम से एक शिष्य अपने आध्यात्मिक विकास में तीव्रता को प्राप्त कर अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। यह ध्यान प्रक्रिया स्थितियों, समस्याओं और कारणों को संभालने की शाश्वत शक्ति देती है।

भक्ति के पवित्र संदेश और संगीत के समामेलन से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस तरह के आध्यात्मिक कार्यक्रम प्रभु के प्रति निकटता की भावना पैदा करते है। कार्यक्रम का अंत भंडारे  के साथ किया गया। बड़ी संख्या में भक्तों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इसकी सराहना की।
 

Monthly Spiritual Congregation Necessitate Meditation to Deal with Conflicts at Gorakhpur, Uttar Pradesh

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