ईश्वर पर हमारा विश्वास ही उसके प्रति हमारे प्रेम को दर्शाता है। भोले एवं निश्छल भावों से ही इस विश्वास को सुदृढ़ एवं जीवन को रूपांतरित किया जा सकता है। एक विश्वास से भरा हृदय ही यह जान सकता है कि एक पूर्ण सतगुरु जो भी कहते हैं वह सदैव उचित ही होता है। विश्वास से ही भक्ति के इस दिव्य मार्ग पर चला जा सकता है।
डीजेजेएस द्वारा 9 जून, 2019 को पुणे, महाराष्ट्र में मासिक सत्संग समागम का आयोजन किया गया। हज़ारों की संख्या में भक्त श्रद्धालुगण इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। उदासीनता एवं नकारात्मकता से सुदूर इन प्रेरणादायी प्रवचनों का सभी ने खूब आनंद उठाया।
सत्संग प्रवचनों में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की प्रचारक शिष्य एवं शिष्याओं द्वारा भक्ति के मार्ग में विश्वास और धैर्य के महत्त्व को समझाया गया। उन्होंने बताया कि हमारा जन्म ईश्वर प्राप्ति हेतु हुआ है, भक्ति के इस दिव्य मार्ग में चलते हुए हम स्वयं के अवगुणों पर विजय प्राप्त कर स्वयं का रूपांतरण कर सकते है। किन्तु यह केवल तभी संभव है जब हमारा अपने सतगुरु के चरणों में पूर्ण विश्वास होगा। गुरु पर पूर्ण विश्वास से ही असंभव को संभव में बदला जा सकता है। जिस प्रकार ईश्वर रात को दिन में परिवर्तित कर सकते हैं ठीक उसी प्रकार आपके संकट को भी अपने आशीर्वाद में बदल सकते हैं। गुरु और शिष्य के सम्बन्ध की धुरी विश्वास ही हुआ करती है। एक शिष्य को सदैव अपने गुरु के वचनों पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। उसे यह पता होना चाहिए कि परिस्थितयां चाहे कोई भी क्यों ना हो उसके गुरु, उनकी कृपा प्रत्येक क्षण उसके साथ है। एक धैर्यवान शिष्य ही अपने गुरु के प्रत्येक कर्म एवं वचन में अन्तर्निहित शिष्य के कल्याण की भावना को समझ सकता है।
मन के अधीन व्यक्ति के भीतर प्रायः संकीर्णता, लालसा, ईर्ष्या जैसे गुण देखने को मिलते है। अपने स्वार्थपूर्ति के लिए वह पशुओं के मानिंद क्रूर एवं हिंसात्मक व्यवहार को अपनाता है। एक पूर्ण सतगुरु इंसान के इन्हीं अवगुणों को दूर कर उन्हें पुनः मानवता की ओर अग्रसर करते हैं। ब्रह्मज्ञान प्रदान कर वह उनके भीतर आध्यात्मिकता का संचार करते हैं। ध्यान साधना के माध्यम से व्यक्ति के भीतर के अवगुण धीरे धीरे समाप्त होते जाते हैं एवं उसके भीतर नैतिकता एवं सामाजिकता जैसे गुणों का विकास होता है। ब्रह्मज्ञान ही सभी समस्याओं का समाधान है। एक शिष्य को सदैव अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखते हुए प्रत्येक परिस्थिति में धैर्य का परिचय देना चाहिए।
प्रेरणादायी सत्संग विचारों ने सभी भक्त श्रद्धालुओं के हृदयों में दृढ संकल्प, गुरु पर अडिग विश्वास एवं भक्ति से ओतप्रोत भावों का पुनः संचार किया।