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जिस तरह एक कार को ईंधन की जरूरत होती है और शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह सम्पूर्ण संतुलन बनाए रखने के लिए, मन और आत्मा को भी सत्संग विचारों की आवश्यकता होती है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रमों द्वारा आध्यात्मिकता के मार्ग पर बढ़ रहे शिष्यों का मार्गदर्शन किया जाता है। इस आध्यात्मिक मंच के माध्यम से भक्तों को दिव्य विचारों द्वारा भक्ति पथ पर निरंतर अग्रसर करने हेतु प्रेरित किया जाता है।

20 जनवरी, 2019 को नूरमहल आश्रम, पंजाब में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा इसी तरह के एक और सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम श्रद्धेय गुरुदेव के पावन चरणों में विनम्र प्रार्थना के साथ शुरू हुआ। भक्ति भजनों की श्रृंखला ने वातावरण में दिव्यता को बढ़ा दिया और वहां मौजूद सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से कई भक्तों ने भाग लिया। आध्यात्मिक प्रवचनों में संस्थान प्रचारकों द्वारा गहन व प्रेरणादायक विचारों ने शिष्यों को साधना और सेवा के मार्ग पर चलने के लिए पुनः जागरूक किया।

प्रचारकों ने साधना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए समझाया कि यह एक शिष्य के विकास हेतु अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि साधना में गुरु का आशीर्वाद और शिष्य का कल्याण निहित है। ध्यान ही निर्जीव हृदयों में जीवन को जागरूक करते हुए; विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य को दृढ़ रखता है। चिंतन और ध्यान-साधना के माध्यम से, हम अधिक से अधिक गुरु कृपा का अनुभव करने में सक्षम बन पाते है। ईश्वर, हमारे अपराधों और भूलों के बावजूद भी हर एक आत्मा के प्रति दयालु है। परमात्मा कभी भी हमारा पक्ष नहीं छोड़ते; वे सदैव अपनी कृपा से हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

प्रत्येक शिष्य के दिव्य अनुभव इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि दयालु गुरु की नजर हमेशा शिष्य पर रहती है। गुरु के मार्गदर्शन में एक शिष्य पहाड़ों को भी स्थानांतरित कर सकता है। गुरु का अथाह प्रेम हर समय शिष्य का पोषण करता हुआ, उसे सभी बुराइयों से बचाता है और उसे सफलता के शिखर पर ले जाता है। परन्तु इसके लिए एक शिष्य को पूरी आस्था के साथ स्वयं को गुरु की आज्ञा और सेवा में समर्पित करना पड़ता है।

प्रचारकों ने प्रत्येक साधक को इस सत्यता और आध्यात्मिकता को दुनिया के हर हिस्से में फैलाने हेतु गुरु दूत बनते हुए, गुरुदेव के दिव्य मिशन में योगदान देने का आह्वान किया। जागृत आत्मा साधारण नहीं होती अपितु वह तो अपार चेतन ऊर्जा का भंडार है। ब्रह्मज्ञान, इस ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली उपकरण है जो विश्व को फिर से एक शांतिपूर्ण और आनंदित बना सकता है। इस आयोजन ने भक्तों में पुनः उत्साह और प्रेरणा को भरते हुए, उनकी भक्ति पिपासा को तृप्त किया।
 

Monthly Spiritual Congregation Satiated Hearts with Love of Divine Guru at Nurmahal, Punjab

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