दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा दिव्यता का प्रसार और भक्तों के बीच भक्ति उत्साह बढ़ाने हेतु, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के पवित्र मार्गदर्शन में 8 मई 2022 को नूरमहल, पंजाब में भव्य मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार, मार्मिक व प्रेरणादायक प्रवचनों और मंत्रमुग्ध कर देने वाली भक्ति रचनाओं ने वातावरण को दिव्यता से स्पंदित किया। इस आयोजन में भारी संख्या में अनुयायियों और भक्तों की उपस्थिति देखी गई।
डीजेजेएस के प्रतिनिधि और श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने जीवन के शाश्वत सिद्धांत के महत्व पर उत्कृष्ट रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि आध्यात्मिक खोज का मूल हमारे भीतर है। सदैव से हमारे शास्त्रों में आध्यात्मिक गुरु के मार्गदर्शन में आध्यात्मिक जीवन का अभ्यास करने की अवधारणा केंद्र बिंदु रही है। आध्यात्मिक जागृति ब्रह्मांड के साथ हमारी चेतना को समायोजित करने में मदद करती है, जीवन के सभी आयामों के बीच दिव्य आनंद, अडिग विश्वास और सुरक्षा प्रदान करती है।
स्वामी जी ने समझाया कि 'आत्मज्ञान' के माध्यम से हम अपने भीतर क्रांतिकारी सकारात्मक परिवर्तनों का अनुभव करते हैं। मानव 'ब्रह्मज्ञान' द्वारा कर्मों के कारागार से मुक्त हो सकता है। साथ ही शरीर की जीवन प्रदायिनी शक्तियों के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाता है, जिससे स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान के नियमित अभ्यास से दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों और समस्याओं से निपटने के लिए साधक के भीतर सटीक और सहज ज्ञान जागृत हो जाता है। ध्यान व्यक्ति की एकाग्रता और समग्र दक्षता को बढ़ाता है।
शास्त्रों का प्रमाण देते हुए स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि सतगुरु स्वयं ईश्वर ही हुआ करते हैं जो साधक का मार्गदर्शन करने के लिए मानव रूप में साकार होते हैं। सतगुरु आनंद, ज्ञान और दया के सागर हैं। वह हमारे अज्ञान के परदे को हटा देते हैं और हमारे व्यक्तित्व से आसुरी लक्षणों को खत्म कर देते हैं। वर्तमान में, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी इस युग के दिव्य व पूर्ण गुरु हैं, जिन्होंने आध्यात्मिक जागृति की सर्वोच्च पद्धति द्वारा हजारों मानवों कि आध्यात्मिक क्षुधा को तृप्त किया है।
डीजेजेएस के प्रतिनिधि ने निष्कर्ष निकाला कि एक पूर्ण गुरु पारलौकिक सत्य-चेतना का प्रवेश द्वार है। लेकिन, अनुयायी को इसके माध्यम से प्रवेश करने का प्रयास स्वयं करना होता है। गुरु सहायक तो हैं , लेकिन साधना का वास्तविक कार्य स्वयं भक्त का दायित्व है। ब्रह्मांड से गहरा जुड़ाव प्राप्त करने से हमारे जीवन में संतुलन आता है; जिससे कुभावनाओं और शंकाओं का सामना करना सहज हो जाता है।
कार्यक्रम के अंत में, सभी उपस्थित लोगों ने ध्यान की स्थिति में सामूहिक रूप से मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। उपस्थित लोगों ने खुद को नए सकारात्मक दृष्टिकोण और संवर्धित आध्यात्मिक ऊर्जा से उत्साहित पाया।