हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा बहुत उत्साह के साथ शुरू करते हैं। परन्तु अधिकतर समय व परिस्थितियों से प्रभावित हो आध्यात्मिक शिखर को प्राप्त करने के लिए हमारा उत्साह कम होने लगता हैं। ऐसे समय में शिष्य को सहयोग की आवश्यकता पड़ती है जो मात्र पूर्ण सतगुरु ही प्रदान कर सकते हैं। जिस प्रकार उलटे पात्र में जल को नहीं सहेजा जा सकता उसी प्रकार यदि शिष्य में पात्रता न हो तो वह गुरु कृपा को सहेज नहीं सकता। गुरु-शिष्य संबंध को दृढ़ करने का कर्तव्य शिष्य पर है कि वह अपने पक्ष को मजबूत करने का प्रयास करे। इसी उद्देश्य के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। 6 अक्टूबर 2019 को डबवाली मालको की, पंजाब में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। बड़ी संख्या में शिष्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और आध्यात्मिक स्तर पर सतगुरु के साथ जुड़ने के लिए अपनी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने हेतु ज्ञान प्राप्त किया।
डीजेजेएस प्रतिनिधि ने गुरु के साथ आध्यात्मिक सम्बन्ध को पोषण करने के लिए सुंदर तरीके से विचारों को रखा। आभार की भावना आंतरिक दुनिया में विकास करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। आभार केवल इस अनमोल जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि हर क्षण के लिए अलौकिक संबंध की ऊंचाइयों को पाने का एक सुनहरा अवसर होना चाहिए। साधक को ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए जो सार्वभौमिक ऊर्जा और अपने गुरु को धन्यवाद दे ताकि हम उस परमात्मा से एकाकार हो सकें। गुरु द्वारा प्रदान किए गए दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) के लिए शिष्य के भीतर कृतज्ञता के भाव अनायास ही प्रवाहित होने लगते हैं, इन्हीं भावों की दृढ़ता हमारे हृदय को कृतज्ञता से भर देती है। इस स्तर पर हम रोज़मर्रा की स्थितियों को दुःख के स्रोत के रूप में नहीं देखेंगे बल्कि आध्यात्मिक विकास की कुंजी के रूप में देखेंगे।
कृतज्ञता के साथ, आध्यात्मिक मार्ग अधिक शांति-उत्प्रेरण के रूप में सामने आता है। इस दिशा में किया गया प्रयास हमें गुरुदेव द्वारा प्रदत्त विश्व शान्ति के बृहद लक्ष्य को पूर्ण करने हेतु सक्षम बना सकता है। हमारी पवित्र व शुद्ध भावनाएं दूसरों को भी शांत जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगी। हम सभी एक समृद्ध विश्व संरचना में योगदान देने में सफल होंगे। इस आध्यात्मिक सभा के अंत में प्रवक्ता ने उपस्थित श्रोताओं से सचेत रूप से कृतज्ञता व्यक्त करने और आध्यात्मिक लक्ष्य तक पहुंचने का आग्रह किया।