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उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।।

‘Naval Bhor Samaroh’ (Lakshya Ki Aur Badhte Sankalpit Kadam) – An Awakening Call for Disciples at Nurmahal, Punjab

क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।। -कठोपनिषद्

"उठो! जागो! महान लक्ष्य की प्राप्ति करो। भक्ति का मार्ग तलवार की धार के समान है, इसलिए बुद्धिमान कहते हैं कि इस पर चलना और पार करना कठिन है।“

‘Naval Bhor Samaroh’ (Lakshya Ki Aur Badhte Sankalpit Kadam) – An Awakening Call for Disciples at Nurmahal, Punjab

भक्ति का मार्ग अत्यंत कठिन है, लेकिन एक पूर्ण सतगुरु की कृपा से शिष्य के लिए आसान हो जाता है। अहंकार आध्यात्मिकता के मार्ग पर एक प्रमुख बाधा है। गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए इसे त्याग देना चाहिए। एक साधक द्वारा आध्यात्मिक विकास हेतु अहंकार का त्याग करते हुए स्वयं की वास्तविकता से परिचय सम्भव हो पाता है।

भक्ति मार्ग पर शिष्यों को प्रोत्साहित करने व उनका मार्गदर्शन करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 25 नवंबर, 2018 को पंजाब के नूरमहल क्षेत्र में "नवल भोर समरोह (लक्ष्य की ओर बढ़ते संकल्पित कदम)" विषय के तहत एक आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया।

आदि शंकराचार्य ने वर्णन किया कि "गुरु से श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है, गुरु की सेवा से बढ़कर कोई तपस्या नहीं है और गुरु द्वारा प्रदत्त ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति से अधिक कुछ नहीं है। ऐसे गुरुदेव को नमन है, जो स्वयं ही कालातीत सत्य है”। शिष्य के जीवन में गुरु के प्रति जितना अधिक विश्वास होगा, उसके लिए दिव्य मार्ग पर चलना उतना ही आसान होगा। एक शिष्य गुरु आज्ञा में निहित उद्देश्य से अवगत नहीं होता है परन्तु फिर भी उसे विश्वास होता है की गुरु की प्रत्येक आज्ञा में उसका कल्याण है। शिष्य के जीवन के हर क्षण में सतगुरु की कृपा उसका मार्गदर्शन करती है। गुरु और शिष्य का सम्बन्ध दृढ़ विश्वास की नीवं पर आधारित होता है, जहां शिष्य बिना शिकायत या प्रश्न के गुरु शब्दों का अनुसरण करता हुआ अपनी यात्रा पर अग्रसर होता है।

संस्थान प्रचारक ने समझाया कि एक शिष्य को जीवन में परिणाम प्राप्त करने के लिए असीम धैर्य रखना चाहिए क्योंकि गुरु ही जानता हैं कि शिष्य को कब और क्या देना है। यहां तक कि गुरु द्वारा प्रदत्त कठिनाइयाँ, संघर्ष व आघात भी एक शिष्य के पक्ष में हैं। वे उसे मिटाने के लिए नहीं हैं अपितु उनमें छिपी गुरुदेव की कृपा उसे पूर्णता प्रदान करती हैं। कड़ी मेहनत, समर्पण, और विश्वास एक शिष्य के आभूषण हैं जिसके द्वारा वह अपनी आंतरिक सुंदरता को बढ़ा गुरु के प्रेम और दुर्लभ कृपा को प्राप्त करता है।

इस प्रकार कार्यक्रम ने शिष्यों को संदेश सम्प्रेषित किया कि - "उठो, जागो और तब तक बढ़ते रहो, जब तक की अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाओ"।

इस कार्यक्रम में अनेक गणमान्य अतिथि भी शामिल रहें-

  • श्री मनोहर लाल खट्टर (मुख्यमंत्री, हरियाणा)
  • महारानी परनीत कौर (पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री, भारत सरकार)
  • ब्रह्म महिंद्रा (कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री)
  • सुंदर श्याम आरोड़ा (कैबिनेट मंत्री, पंजाब)
  • सरदार गुरजीत सिंह औजला (संसद सदस्य, अमृतसर)
  • श्री अजायब सिंह भट्टी (उपाध्यक्ष, पंजाब विधान सभा)
  • श्रीमती संतोख चौधरी (पूर्व संसद सदस्य, होशियारपुर)
  • सरदार हरदयाल कंबोज (विधायक, राजपुरा)
  • श्री मदन लाल (विधायक, घनौर)
  • श्री राम बहल (सर्विस सलेक्शन बोर्ड, अध्यक्ष, पंजाब)
  • श्री के. के. शर्मा (अध्यक्ष पीआरटीसी, पंजाब)
  • श्री जोगिन्दर सिंह मान (पूर्व कैबिनेट मंत्री, पंजाब)
  • श्री कमल शर्मा (पूर्व प्रधान बीजेपी, पंजाब)
  • सरदार जोगिन्दर सिंह बराड़ (हलका इंचार्ज, नकोदर)
  • जोगिन्दर सिंह जोगी (वरिष्ठ उप महापौर, पटियाला)
  • श्री महंत आत्मा राम (डेरा बाबा मगनी राम जी, पटियाला)
  • श्री कमल चेतली (वरिष्ठ नेता, बीजेपी, लुधियाना)
  • श्री रजनेश धीमन (प्रधान उपाध्यक्ष, बीजेपी, लुधियाना)

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