मानव जीवन के रूप में परमात्मा ने हमें सृष्टि की अनमोल भेंट प्रदान की है। साथ ही हमारे भीतर प्रेम, सहयोग एवं भाई चारे की भावना जैसे गुणों का भी विकास किया। किन्तु आज यदि आकलन किया जाए तो अपने स्वार्थ पूर्ति एवं संकीर्ण मानसिकता में घिर कर मानव ने परमात्मा द्वारा प्रदत्त इस अनमोल भेंट का अपमान ही किया है। प्रेम एवं शांति से परे आज हम छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ते है, एवं क्रोध एवं स्वार्थ में अक्सर मानवता के दायरे को भी पार कर जाते हैं।
समाज में पुनः प्रेम, सौहार्द एवं शान्ति की भावना को स्थापित करने के उद्देश्य से दिनांक 21 नवंबर, 2019 को डीजेजेएस द्वारा मयूर विहार, नई दिल्ली में मंगल कलश यात्रा का आयोजन किया गया। यह कलश यात्रा, संस्थान द्वारा दिनांक 22 से 28 नवंबर, 2019 तक आयोजित की जाने वाली सात-दिवसीय श्रीमद भागवत कथा (कथा व्यास- साध्वी वैष्णवी भारती जी द्वारा) के रसपान का सुन्दर आमंत्रण था।
सकारात्मकता का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। सकारात्मकता के लिए जीवन में सही दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। सकारात्मकता के प्रभाव से प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अनुकूल परिस्थितियों में परिवर्तित किया जा सकता है, और केवल तभी सब सब मिलकर शांतिपूर्ण विश्व की कल्पना को सार्थक कर सकते हैं। इतिहास साक्षी है कि मानव का कल्याण युद्ध नहीं, अपितु शान्ति में हैं और शांति केवल उन लोगों द्वारा ही स्थापित की जा सकती है जो ब्रह्म से जुड़े है।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी अक्सर कहा करते हैं कि समाज में व्याप्त बुराई एवं भ्रष्टाचार का मूल कारण भ्रष्ट बुद्धि ही है। विवेक के अभाव में ही मनुष्य सही और गलत का आकलन नहीं कर पाता। अतः समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य का विवेक जाग्रत हो एवं केवल आत्म जाग्रति से ही मनुष्य का विवेक जाग्रत होता है। ब्रह्मज्ञान से ही मनुष्य पुनः दिव्यता की ओर अग्रसर हो सकता है।