दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के PEACE कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार 22 जुलाई, 2018 को एक कॉर्पोरेट वर्कशॉप- “Googl-e-Murshid” (सद्गुरु की खोज) का आयोजन किया गया।
इस विलक्षण वर्कशॉप का आरंभ अत्यंत गूढ़ व संवादात्मक सत्र- Talesh-e-Support 24x7 से हुआ। मनुष्य के जीवन के हर दौर में कोई-न-कोई संबंध उसका सहयोगी अथवा सहारा बनकर उभरता है! कभी माँ, कभी अध्यापक तो कभी मित्र- सभी भूमिका अदा करते हैं। पर जब बात आध्यात्मिक विकास की आती है, सद्गुरु शरणागति होने की आती है, तब व्यक्ति इस सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता! तब उसे किसी सहारे की आवश्यकता महसूस नहीं होती। इसी बिंदु को स्पष्ट करने व आत्मिक संबंध को पूर्णत: निभाने वाले सद्गुरु की आवश्यकता को उजागर करने के उद्देश्य से साध्वी डा. निधि भारती जी व साध्वी परमा भारती जी द्वारा कार्यक्रम के इस प्रथम भाग का संचालन किया गया। साध्वी बहनों ने सारगर्भित अध्ययनों व ज्ञानात्मक क्रियाओं के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार सद्गुरु हर परिस्थिति में निस्वार्थ भाव से मानव का मार्गदर्शन कर उसे भ्रांतियों व उलझनों से स्वतंत्र करते हैं! यही वास्तव में व्यक्ति के जीवन में सर्वोत्तम संबंध होता है!
अब बारी थी- दूसरे सत्र की! जिसमें वर्तमान का सबसे ज्वलंत विषय चिन्हित किया गया। दरअसल, आजकल समाचार पत्रों की सुर्खियों में अधिकतर बाबाओं और उनके कारनामों के काले चिट्ठे ही पढ़ने को मिलते हैं। उनसे संबंधित विवादों, प्रपंचों से लेकर मारपीट, दंगों तक की खबरें सुनने को मिलती है। इन्हें पढ़कर जनमानस के भीतर प्रश्न कौंधता है- क्या यही है भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती पवित्र पावन गुरु-शिष्य परम्परा? इसी विषय पर मुख्यतः प्रकाश डालने हेतु साध्वी रूचिका भारती जी द्वारा Feku-o-Fake Babas का सत्र प्रस्तुत किया गया। इसके अंतर्गत तथाकथित बाबाओं द्वारा प्रचलित अपरंपरागत व विचित्र पद्धतियों को उजागर किया गया। इन्हीं अजीब पद्धतियों के माध्यम से वे भोली-भाली जनता को लुभाने व धोखा देने का प्रयास करते हैं। इस हास्यास्पद प्रस्तुति ने बड़े-बड़े कार्पोरेट लोगों को भी गुदगुदाहट कर खूब हँसाया और बहुत सराहना बटोरी! विश्लेषणात्मक क्रियाकलापों, स्पंदशील प्रस्तुतियों के पश्चात् अब बारी थी Google-e-Murshid कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी- Deedar-e-Divine की! इस उत्कृष्ट सत्र को प्रस्तुत करने साध्वी तपेश्वरी भारती जी को मंच पर आमंत्रित किया गया। उन्होंने तर्कशील मस्तिष्कों को झकझोरने वाले तथ्य प्रस्तुत किए। साध्वी जी ने ब्रह्मज्ञान के विज्ञान को, दिव्य ऊर्जा के सर्किट को इलेक्ट्रॉनिक सर्किट की कार्यशैली के रूप में प्रस्तुत किया। साथ ही वेदों व विश्व की विभिन्न संस्कृतियों में अंकित पूर्ण सद्गुरु की पहचान व विलक्षणताओं पर भी प्रकाश डाला। इस विचारप्रेरक सत्र ने आगंतुकों के तार्किक व वैदिक स्तरों को इस प्रकार झंकृत किया कि वे ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर साक्षात्कार करने हेतु प्रेरित हो उठे।
इसके पश्चात् गुरुओं के गुरु- पूर्ण सद्गुरु, PEACE कार्यक्रम के अग्रदूत, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी को हृदय से अभिनंदन करती एक वीडियो दिखाई गई। यह संपूर्ण कार्यक्रम का सबसे अधिक अविस्मरणीय क्षण था। क्योंकि इसे देख सभी ने एक स्वर में महाराज श्री के उच्च आदर्शों व समाज के उत्थान में उनके अद्वितीय योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की!
अंत में संगीतात्मक प्रस्तुति- Symphony-e-Sufiyana द्वारा कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस अनुपम संगीत प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों के हृदय की तारों को झंकृत कर संपूर्ण वातावरण में उत्साह और आनंद का संचार कर दिया। प्रोग्राम के इस अंतिम सत्र ने आगंतुकों को भौतिकतावाद की चार दिवारी से बाहर निकाल कर अद्वितीय, शाश्वत संबंध की खोज हेतु बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
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