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"अपने तनाव को पंख दो और इसे दूर उड़ने दो"- Terri Guillemets

Practice of Mindful Meditation Necessitated in Stress Management Workshop at Indo-Tibetan Border Police Camp, Jalandhar Punjab

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भौतिक प्रगति और विकास ने वर्तमान परिदृश्य में लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया है, लेकिन समकालीन समाज में अंतहीन प्रतिस्पर्धा और अनंत इच्छाओं के भार द्वारा मानव कई मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तनावों से घिर गया है। आजकल तनाव एक सार्वभौमिक समस्या बन चुका है। यह समस्या अपूर्ण इच्छाओं, प्रतिकूल परिस्थितियों और अनुचित मानवीय धारणाओं से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा की परिणति है।

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन के अंतर्गत 9 अप्रैल 2019 को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस कैंप, जालंधर, पंजाब में स्वामी सज्जनानंद जी, साध्वी राजविंदर भारती जी व संस्थान स्वयंसेवकों ने तनाव प्रबंधन पर एक प्रेरणादायक कार्यशाला का संचालन किया।

Practice of Mindful Meditation Necessitated in Stress Management Workshop at Indo-Tibetan Border Police Camp, Jalandhar Punjab

कार्यशाला में आईटीबीपी अधिकारियों और कर्मियों की उत्साही भागीदारी देखी गयी। परामर्श सत्रों के माध्यम से विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए व्यावहारिक तनाव प्रबंधन रणनीतियों, सुसंगत चित्रण, योग और प्राणायाम व मनोचिकित्सा आदि द्वारा उपस्थित लोगों को अवगत कराया गया।

संस्थान प्रतिनिधियों ने बताया कि तनाव प्रबंधन हेतु कई तकनीकें प्रचलन में हैं, लेकिन वे तकनीकें आध्यात्मिक आधार के बिना मात्र सतह पर ही सुधार करने में सक्षम हैं। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा आत्म-चेतना का जागरण व सकारात्मकता की ओर बढ़ते हुए, तनाव को सक्रिय करने वाले हार्मोन प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस मनःस्थिति की प्राप्ति  हेतु आत्म-बोध द्वारा ध्यान की सटीक वैज्ञानिक तकनीक ही सहयोगी है। आत्म-बोध द्वारा मानव समग्र प्रतिरक्षा स्थापित करता है, जिसके माध्यम से वह तनाव और चिंता मुक्त बन पाता है। इस महान अलौकिक ज्ञान को एक सशक्त सतगुरु ही प्रदान कर सकते हैं। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी एक ऐसे महान व्यक्तित्व हैं, जो आशंकित और तनावपूर्ण ह्रदयों के भीतर दिव्य प्रकाश की लौ को प्रज्वलित कर रहे हैं। अलौकिक ज्ञान का अनुभव करने के बाद व्यक्ति में बौद्धिक चेतना विकसित होती है। इस दिव्य चेतना के प्रभाव से तनाव पैदा करने वाली नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होने लगती है। नियमित ध्यान द्वारा तनाव निवारण सम्भव है। ध्यान द्वारा मानव, ब्रह्मांड के सकारात्मक स्पंदनों को आकर्षित करता है। इस प्रक्रिया में ध्यान निमग्न मानव पूर्णता को प्राप्त करते हुए जीवन में समरूपता व संतुलन को स्थापित कर लेता है।

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