भगवान श्री कृष्ण प्रतीक है अगाध ज्ञान, धर्म, भक्ति, एवं दिव्य प्रेम के। उनका सम्पूर्ण जीवन उत्कृष्ट उदाहरण है आदर्श जीवन जीते हुए , आतंरिक आंनद एवं मोक्ष प्राप्ति का। जीवन में उचित एवं श्रेष्ठ कर्म करने का। भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण की सभी लीलाओं के अंतर्निहित रहस्यों का वर्णन है।
आज प्रत्येक मानव, नकारात्मक, अप्रिय एवं अवांछित तत्वों से घिरा हुआ है। ऐसे में श्री कृष्ण कथा जैसे आध्यात्मिक विचार ही उसके मन, बुद्धि एवं आत्मा को प्रकाशित कर सकते हैं। जब जब इस संसार में बुराई अपने चरमोत्कर्ष पर होती है तब धर्म की स्थापना हेतु ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं। आज मानव ने स्वयं को इस नश्वर संसार एवं उसकी माया में इतना लिप्त कर लिया है कि वह अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को भूल चुका है। मानवीय मूल्यों के अभाव में वह एक मशीन की ही भांति हो चुका है। आज ईश्वर को भुला वह संसार में ख़ुशी एवं मानसिक शांति को ढूंढ रहा है। आज के परिवेश में भक्त एवं भक्ति उपहास का प्रयाय बन चुके हैं। ऐसे में कृष्ण कथा के माध्यम से ही मानव को पुनः भक्ति के वास्तविक अर्थ, महत्व एवं प्रकार को समझाया जा सकता है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य सानिध्य में जालंधर, पंजाब में 28 मई से 1 जून 2019 तक, पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया जिसमें कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण लीला के कई रहस्यों को उद्धृत किया। श्री कृष्ण कथा के माध्यम से उन्होंने मानव जीवन के सभी चरणों एवं स्तिथियों को बहुत ही रोचक तरीके से समझाया। भगवान विष्णु के अवतार, श्री कृष्ण द्वापर युग के पूर्ण गुरु थे जिन्होंने ब्रह्मज्ञान के माध्यम से अपने शिष्यों के अंतर्जगत में स्वयं का वास्तविक रूप प्रकट किया। किसी भी जाति, धर्म एवं पंथ से परे, भक्ति ही मोक्ष प्राप्ति का माध्यम है। सही अर्थों में भक्ति तभी संभव है जब व्यक्ति एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर उनके श्री चरणों में स्वयं को समर्पित कर दे। तभी, व्यक्ति अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को जान सकता है। मधुर भजन संगीत एवं प्रेरणाप्रद प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को नये आयाम प्रदान किये जिसका उपस्थित जन मानस ने पूर्ण लाभ उठाया।