नारायणगढ़, हरियाणा में प्रभु प्रेम से ओतप्रोत श्रीकृष्ण कथा रूपी भक्ति रसधारा के प्रवाह में श्रद्धालुओं ने गोता लगाया। श्रीकृष्ण कथा के दिव्य वातावरण ने शुष्क हृदयों को प्रभु भक्ति से भिगो दिया। 1 सितंबर से 5 सितंबर 2018 तक आयोजित कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव मुख्य आकर्षण रहा।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने कथा का वाचन करते हुए श्री कृष्ण के अवतरण में निहित गूढ़ रहस्यों को उजागर किया। साध्वी जी ने सरस व रोचक ढ़ंग से श्री कृष्ण लीला का वर्णन करते हुए बताया कि प्रभु ब्रह्मज्ञान द्वारा कंस रूपी दुर्गुणों का विनाश करने हेतु जगत में अवतरित होते है।
प्रभु की प्रत्येक लीला के पीछे समाज उद्धार का उद्देश्य निहित है। उनके द्वारा प्रदत्त शिक्षाएं व आदर्श आज भी समाज के लिए उपयोगी है। भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन को सभी समस्याओं के निदान हेतु सशक्त माध्यम प्रदान किया। प्रत्येक दिन कथा में उपस्थित रहे श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम की दिव्यता का अनुभव किया। प्रभु महिमा के पिपासुओं ने उत्साह व श्रद्धा से भगवान् के महिमा गुणगान में भाग लिया। भक्ति संगीत द्वारा शुष्क हृदय प्रभु प्रेम से सरस व आनंदित हो झूम उठे।
लोगों ने जीवन के हर पहलु में उचित दिशा प्रदान करती कथा से प्रभावित हो आगे भी ऐसी कथाओं को सुनने की इच्छा जतायी। उन्होंने भगवान की लीलाओं के गहन अर्थ और ज्ञान को प्राप्त कर जीवन में आध्यात्मिक उत्थान को पाया। कथा ने भक्तों को मात्र उनेक चरित्र को सुनने तक ही सिमित नहीं किया अपितु श्री कृष्ण तत्व को पाने हेतु ब्रह्मज्ञान की ओर बढ़ने हेतु अग्रसर किया।
साध्वी जी ने समझाया कि भगवान का अनुभव मात्र सच्चे सतगुरु द्वारा ही संभव है, जिस प्रकार मीरा बाई जी ने श्री कृष्ण की भक्ति को संत रविदास जी की कृपा व आश्रय द्वारा पाया था। भगवान कृष्ण अपने वास्तविक रूप को केवल एक सच्चे गुरु के माध्यम से ही प्रगट करते है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान सदैव ही ऐसे जिज्ञासुओं का आवाहन करता है जो ईश्वर के वास्तविक रूप का दर्शन प्राप्त कर आध्यात्मिकता का अनुभव करना चाहते है।
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