दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कुरुक्षेत्र, हरियाणा में श्री कृष्ण कथा का भव्य आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने दिव्य ज्ञान द्वारा आध्यात्मिकता का अनुभव किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगल कलश यात्रा एवं मंत्रोउच्चारण के साथ हुआ।
इस सात दिवसीय कथा का आयोजन 05 से 11 जून 2019 तक किया गया! कथा का वाचन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने किया! उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण एक बहुआयामी व्यक्तित्व है जो सर्वज्ञ, सर्वव्यापी और सर्वोपरि है। अनादिकाल से, भगवान श्री कृष्ण सदैव मानवता के बीच जिज्ञासा का विषय रहे है और हम भगवान श्री कृष्ण की आनंदित कर देने वाली लीलाओ एवं महाभारत के युद्ध के दौरान दिए गए गीता उपदेश को सुनने का आनंद लेते है जहाँ बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। यद्धपि हम उनके बारे में जानना पसंद करते है, लेकिन हमें कभी यह जानने का प्रयत्न नहीं करते की भगवान श्री कृष्ण भगवान् विष्णु के ही अवतार थे और उनके अवतरण का उद्देश्य क्या था , महाभारत युद्ध या क्रूर कंस द्वारा अपने माता पिता पर हो रहे अत्याचार? भगवत गीता में इतने श्लोक क्यों वर्णित है? श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना वास्तविक रूप क्यों दिखाया ? श्री कृष्ण की इन लीलाओ के पीछे दिव्य सन्देश क्या है? परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने असंख्य श्लोको के माध्यम से कथा को स्पष्ट रूप से सुनाया और समझाया की भगवान श्री कृष्ण की हर लीला भव्य और विचारशील रहस्यो से ओत प्रोत है। इसमें श्री कृष्ण के जीवन की लीलाओ का सबसे व्यापक संग्रह शामिल था जिसमे उन्हें मानव जीवन के सभी चरणों और स्तिथियो में दर्शाया गया। उनके अन्तर्निहित अर्थ न केवल उस युग में प्रासंगिक थे, बल्कि आज के युग में भी अचूक महत्व रखते है। भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मज्ञान के दिव्य ज्ञान को प्रकाशित किया, जो सामाजिक और नैतिक रूप से जिम्मेदार बनने के लिए जरुरी है। आधुनिक युग को बुराइयों से मुक्त करने और सामाजिक परिवर्तन के लिए आज इस दिव्य तकनीक की आवश्यकता है। सुमधुर व् भावपूर्ण भजनों ने श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हालाँकि यह कार्यक्रम 11 जून 2019 को समाप्त हो गया था लेकिन एक साधारण मानव से एक महा मानव बनने की यात्रा के दिव्य सन्देश ने श्रोताओ के मन एवं मस्तिष्क पर एक अमिट छाप छोड़ दी। इस आयोजन में डीजेजेएस द्वारा चलाये जा रहे प्रकल्प एवं अखंड ज्ञान (मासिक आध्यात्मिक पत्रिका) की प्रदर्शनी भी लगाईं गयी।