महर्षि तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस ,एक महान रचना है जिसमें भगवान विष्णु के सातंवे अवतार, श्रीराम की गाथा का अनुपम वर्णन है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का सम्पूर्ण जीवनदर्शन हमें सत्य, नैतिकता, करुणा एवं बलिदान की भावना से जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। श्री राम का राज्य शांति और समृद्धि का प्रतीक था, जिसका आज के आधुनिक युग में अभाव है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान में ब्रह्मज्ञान के माध्यम से मानव को आत्म-उन्मुख करते हुए पुनः राम राज्य स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।
श्री गुरुदेव के दिव्य सानिध्य में 2 जून 209 से 8 जून 2019 तक, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 7 दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रभु श्री राम की के कर कमलों की पावन स्तुति के साथ किया गया। कथाव्यास साध्वी श्यामा भारती जी ने बहुत ही सुन्दर तरीके से भगवान श्री राम के जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अपने पिता महाराज दशरथ के वचन का पालन करने हेतु उन्होंने अपनी भार्या एवं अनुज लक्ष्मण के साथ, प्रसन्नतापूर्वक 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया था। पिता की एकआज्ञा का पालन करने हेतु उन्होंने अपने राजसी सुखों का त्याग कर वनवास को अपनाकर एक आदर्श पुत्र की पराकाष्ठा को स्थापित किया था। साध्वी जी ने समझाया कि ठीक इसी प्रकार एक शिष्य को भी अपनी गुरु की आज्ञा का प्राणपन से पालन करना चाहिए क्योंकि गुरु की प्रत्येक आज्ञा शिष्य के कल्याणार्थ ही होती है ।
भावपूर्ण एवं मधुर भजन संगीत ने सभी के शुष्क हृदयों में आध्यात्मिकता का पुनः संचार किया। साध्वी जी ने अपनी कथा को बढ़ाते हुए राम-रावण युद्ध का भी वर्णन किया। रावण, रामायण का एक महत्वपूर्ण चरित्र है, जो प्रतीक है इस संसार में व्याप्त घृणा और क्रूरता का। रावण अपने समय का प्रकांड विद्वान था किन्तु उसके भीतर व्याप्त अहंकार ने उसे ऐसे मार्ग की ओर प्रशस्त किया जो उसके समूल विनाश का कारण बना। आज का मानव भी अभिमान से ग्रस्त है किन्तु, ब्रह्मज्ञान के माध्यम से अपने भीतर के इस राक्षस (रावण) का अंत संभव है। जीवन में एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु धारण करने से ही ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति संभव है। इस कथा का उद्देश्य जन जन तक प्रभु श्री राम के दिव्य सन्देश को पहुंचना एवं पुनः इस धरा पर रामराज्य स्थापित करने हेतु प्रेरित करना था। कार्यक्रम का समापन हवन एवं मधुर भजन के साथ हुआ जिसने सभी आध्यात्मप्रेमियों के हृदयों को झंकृत कर दिया।