जिस प्रकार सागर में अनंत लहरें उठती है और फिर उसी में लीन हो जाती है, वैसे ही इस संसार में हर जीव जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त होता है|
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का कथन है- “इस संसार में जो कुछ भी अस्तित्व में है उसे एक दिन समाप्त होना है, लेकिन यह मानव पर निर्भर है कि वह अपने इस समय को कैसे उपयोग करता है|” इसी सत्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 22 अप्रैल 2018 से 26 अप्रैल 2018 तक कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में पांच दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया| सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी जयंती भारती जी ने इस कथा का वाचन किया|
कथा का शुभारम्भ ब्रह्मज्ञानी वेद- पाठियों द्वारा मंत्र उच्चारण व सौभाग्यशाली महिलाओं द्वारा मंगल कलश यात्रा से हुआ| साध्वी जी ने श्रीरामचरितमानस के अनेक प्रसंगों की व्याख्या करते हुए भक्त जटायु जी की कथा को रखा| जटायु जी ने माँ सीता की खोज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी| उन्होंने माँ सीता की रक्षा हेतु रावण से युद्ध करते हुए एक बार भी अपने जीवन के विषय में विचार नहीं किया| रावण के बल व स्वयं के असमर्थता से परिचित होते हुए भी उन्होंने उसका प्रतिकार किया| जटायु जी ने अपने स्वामी के प्रति शिष्य के समर्पण का आदर्श उदाहरण रखा| गिद्धराज जटायु जी की भक्ति भावना से प्रभावित हो श्रीराम ने स्वयं उनका अंतिम संस्कार किया| साध्वी जी ने इस प्रसंग के माध्यम से समझाया कि शिष्य व भक्त को अपनी असमर्थता के कारण प्रभु काज से विमुख नहीं होना चाहिए| बल्कि अपनी अंतिम श्वास तक प्रभु काज को सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिय| साध्वी जी ने हर कथा प्रसंग में निहित गूढ़ आध्यात्मिक तथ्यों को भी लोगों के समक्ष रखा|
साध्वी जी ने मानव जीवन में ब्रह्मज्ञान को ईश्वर द्वारा प्रदत उपहार बताया| संगीतकार भक्तों द्वारा गाए सुमधुर भजनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया| कथा में भारी संख्या में भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी| साथ ही मुख्य अतिथियों व श्रोताओं ने कार्यक्रम की भरसक सराहना की| कथा का समापन वैदिक रीती अनुसार यज्ञ द्वारा किया गया|
Subscribe Newsletter
Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox